केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि रमज़ान के महीने के दौरान कश्मीर घाटी में आतंकी घुसपैठ के ख़िलाफ़ ऑपरेशन स्थगित रहेगा. 17 साल से भी ज़्यादा समय से आतंक से प्रभावित कश्मीर में ये अपनी तरह की पहली पहल है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार ने 2000 में रमज़ान के दौरान इसी तरह की घोषणा की थी. उस समय सरकार की इस पहल से शांति के दरवाज़े खुल गए थे लेकिन किन्ही कारणों से इसके सकारात्मक नतीजे नहीं निकल सके थे. घाटी के लोगों को अमन वाले दिन आज भी याद हैं.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन स्थगित करने का फ़ैसला इसलिए किया गया है ताकि "शांतिप्रिय मुसलमान अमन के माहौल में रमज़ान में रोज़े रख सकें" लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि अगर आतंकियों ने हमला किया तो सुरक्षा बल के जवान उसका जवाब देंगे.
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती काफ़ी समय से केंद्र सरकार से ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की अपील करती रही हैं और बुधवार को केंद्र सरकार के इस क़दम का स्वागत करने वाली वह पहली नेता थीं. नेशनल कॉंफ़्रेंस के नेता डॉ. फारूक़ अब्दुल्लाह ने भी केंद्र की इस पहल का स्वागत किया है और आशा व्यक्त की है कि पाकिस्तान इसका सकारात्मक जवाब देगा.
हम उम्मीद करते हैं कि अलगाववादियों को इससे सदबुद्धि मिलेगी और कुछ नहीं तो एक महीने के लिए ही सही, घाटी में शांति का माहौल बनेगा. काफ़ी ख़ून बह चुका है और अब शांति को एक मौक़ा देने का वक़्त आ गया है.
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