नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या कोई उच्च न्यायालय किसी दूसरे धर्म के लड़के से शादी करने वाली लड़की के पिता की याचिका पर शादी रद्द करने का फैसला सुना सकता है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली खंडपीठ शफीन जहां की उस याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें हादिया (धर्म परिवर्तन के बाद दुल्हन का नाम) के साथ उसकी शादी को रद्द कर दिया गया है। ये भी पढ़ें: 38 दिन बाद सामने आई राम रहीम की लाडली हनीप्रीत, बताया सबकुछ
पीठ ने इस निर्णय पर भी आश्चर्य जताया कि 24 वर्षीय महिला को कैसे अपने पिता की निगरानी में रहने के लिए बाध्य किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मुद्दे की समीक्षा जहां की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान करेगा, जिसमें उसने अदालत के पूर्व के एक आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को करेगा। केरल उच्च न्यायालय ने हादिया के जहां के संग शादी को उसके पिता की याचिका पर रद्द कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने तब हस्तक्षेप करते हुए एनआईए को 'लव जिहाद' की अटकले लगाए जाने के मद्देनजर शादी की जांच करने को कहा था। जहां ने इसकी प्रतिक्रिया में एनआईए की जांच रद्द करने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
सूत्रों के मुताबिक, हादिया, धर्म परिवर्तन से पहले अखिला को कोट्टायम स्थित उसके घर में उसके अभिभावकों द्वारा जबरदस्ती रखा गया है।
Latest India News