भरतपुर. राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन शुरू होने से पहले ही कमजोर पड़ता दिख रहा है। इस आंदोलन के अगुवा कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आंदोलन को लंबा खींचने की कोशिश में जुटे हैं, उनके बेटे ने पूरे आंदोलन की बागडोर संभाल रखी है लेकिन दूसरी तरफ भरतपुर के करीब 80 गांव की महापंचायत ने ये ऐलान कर दिया है कि सरकार ने सभी मांगे मान ली हैं, इसलिए वो आंदोलन से वे दूर रहेंगे। ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या गुर्जर आंदोलन में फूट पड़ गई है। आरक्षण के सवाल पर गुर्जर Vs गुर्जर कैसे हो गया।
देखिए ग्राउंड रिपोर्ट
क्या है बैंसला गुट की मांग
- गुर्जर आरक्षण संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल हो
- सरकारी नौकरियों में गुर्जरों, MBC को 5% आरक्षण मिले
- पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज किए मुकदमें वापस हों
- आंदोलन में मरने वालों के परिवारवालों को आर्थिक मदद मिले
- आंदोलन के दौरान मरे लोगों के परिवारवालों को नौकरी दिया जाए
आंदोलन की वजह से हो रही है आम लोगों को परेशानी
- दिल्ली-मुंबई रूट की कई ट्रेनें डायवर्ट
- आगरा हाईवे की बसें बंद करनी पड़ी हैं
- जयपुर से दौसा जाने वाली बसें बंद हैं
- जयपुर के 5 तहसील में इंटरनेट बंद है
इन जिलों में अगले तीन महीने तक रासुका लागू करने के आदेश
गुर्जर आंदोलन को देखते हुए राजस्थान सरकार ने 8 जिलों में अगले 3 महीनों तक के लिए रासुका लागू करने का आदेश दिया है। इन जिलों में भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ शामिल हैं।
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