राज्यसभा में भावुक गुलाम नबी आजाद ने बताया कब उन्हें सबसे ज्यादा रोना आया था
गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मेरे माता-पिता की जब मृत्यु हुई तो मेरे मेरी आंखो से आंसू निकले लेकिन मैं चिल्लाकर रो नहीं पाया। मैंने जिंदगी में कुछ ही बार चिल्लाकर रोया। पहली थी संजय गांधी की मौत, दूसरी थी इंदिरा गांधी की मौत, तीसरी थी राजीव गांधी की मौत और चौथी थी जब सुपर सुनामी आ गया था उड़िसा में 1999 में।"
नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी के सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में अपना विदाई भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने कश्मीर के हालात ठीक होने की कामना की। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितों का भी जिक्र किया और कहा कि वह जब छात्र राजनीति में थे उन्हें सबसे अधिक मत कश्मीरी पंडितों का ही मिलता था। अपने भाषण के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें कब-कब सबसे ज्यादा रोना आया।
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गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मेरे माता-पिता की जब मृत्यु हुई तो मेरे मेरी आंखो से आंसू निकले लेकिन मैं चिल्लाकर रो नहीं पाया। मैंने जिंदगी में कुछ ही बार चिल्लाकर रोया। पहली थी संजय गांधी की मौत, दूसरी थी इंदिरा गांधी की मौत, तीसरी थी राजीव गांधी की मौत और चौथी थी जब सुपर सुनामी आ गया था उड़िसा में 1999 में।" उन्होंने आगे कहा, "मैं अस्पताल गया अपने पिता जी को दिखाने। उन्होंने कहा कि इनको कैंसर है। उन्होंने कहा कि 21 दिन आप कहीं मत जाओ। दोपहर को मैं रिपोर्ट लेकर आया। मिसेज गांधी का शाम को फोन आया कि वहां साइक्लोन हैं कोई दूसरे जनरल सेक्रेटरी हैं, वहां पर जाना नहीं चाहते हैं, तुम ही जा सकते हो। मैं अपने पिताजी को छोड़कर चला गया।"
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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब ओडिशा एयरपोर्ट पर पहुंचा तो 1000 लड़के थे और उन्होंने कहा कि 10-12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा क्योंकि पेड़ गिरे हुए हैं। हम चले, मंत्री कोई नहीं, चीफ मिनिस्टर भाग गए थे, कोई प्रशासन नहीं, दुकाने तोड़कर मैने लिस्ट बनाई। हमने जंगल काटने के लिए हथियार लिए, 3 रात और 3 दिन तक लगे रहे और फिर पीएम को फोन किया और उनसे राशन मंगाया और उसके बाद सोनिया गांधी जी को कहा। वहां मैं रोया जब हमने सैंकड़ो लाशें तैरती देखी।
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उन्होंने आगे कहा, पांचवी दफा मैं तब रोया जिसका उल्लेख माननीय प्रधानमंत्री जी ने किया। मैं 2 दिन पहले पहुंचा था और वहां स्वागत करने का आतंकवादियों का यही तरीका था कि आप हत्या करो। गुजरात की बस पर उन्होंने ग्रेनेड लगाया और दर्जन से ज्यादा लोग वहीं हाताहत हो गए कई जख्मी हुए। जब मैं एयरपोर्ट पर पहुंचा, तो उन बच्चों ने रोते रोते मेरी टांगों से लिपट गए तो जोर से मेरी आवाज निकल गई, मैं कैसे इन बच्चों को जवाब दूं कैसे इन बहनों को। हम भगवान से यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए। हजारों हमारे सुरक्षाबलों के जवान मारे गए, सिविलियन मारे गए। हजारों बेटियां माएं आज विधवा हैं। कश्मीर के हालात ठीक हो जाएं।
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आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे। उन्होंने कहा कि वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे। आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई, "खुदा तूने ये क्या किया, मैं क्या जवाब दूं इन बच्चों को, इन बच्चों में से किसी ने अपने पिता को गंवाया तो किसी ने अपनी मां को, ये यहां सैर करने आए थे और मैं उनकी लाशें हवाले कर रहा हूं।"