अहमदाबाद: गुजरात में पुलिसकर्मियों द्वारा अपने वीडियो टिकटॉक पर पोस्ट करने के कुछ मामलों की पृष्ठभूमि में राज्य के डीजीपी शिवानंद झा ने मंगलवार को अधिकारियों को ‘‘अनुचित’’ वीडियो मोबाइल एप्लीकेशन और सोशल मीडिया पर अपलोड करने के प्रति आगाह किया। डीजीपी ने कहा कि पुलिसकर्मी ऐसे अनुचित वीडियो तब भी पोस्ट नहीं करें जब वे ड्यूटी पर नहीं हैं, निलंबित हैं या फिर सादे कपड़ों में हैं।
उन्होंने एक सर्कुलर में कहा कि सभी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को ऐसे किसी कृत्य में लिप्त नहीं होना चाहिए जिसको लेकर उनकी सार्वजनिक आलोचना हो या ‘‘अनुशासित पुलिस बल’’ की छवि धूमिल हो। यह सर्कुलर विभिन्न पुलिस थानों के तीन पुलिस कान्स्टेबलों द्वारा अपने वीडियो टिकटॉक पर अपलोड करने को लेकर निलंबन के कुछ दिन बाद आया है। इन पुलिसकर्मियों में एक महिला कान्स्टेबल भी शामिल थी।
डीजीपी ने गुजरात सेवा (आचरण) नियम और गुजरात पुलिस कानून के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी पुलिसकर्मियों को टिकटॉक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते समय इन नियमों का पालन करना चाहिए। यह सर्कुलर पुलिसकर्मियों द्वारा टिकटॉक के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध की बात नहीं कहता लेकिन इसके माध्यम से उन्हें ऐसे ‘‘अनुचित’’ वीडियो अपलोड करने से परहेज करने को कहा गया है जो विभाग की छवि धूमिल करते हैं।
सभी पुलिस आयुक्तों, जिला अधीक्षकों और रेंज आईजी को भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि ‘‘यह हाल में संज्ञान में आया है कि कई पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारियों ने अपने वीडियो टिकटॉक पर अपलोड किए हैं। इनमें से कुछ ड्यूटी पर और अपनी वर्दी में थे, कुछ ने वीडियो पुलिस थानों में बनाये। ऐसे वीडियो प्रसारित करना उचित नहीं है। ऐसे कृत्य समाज में पुलिस की छवि धूमिल करते हैं।’’
डीजीपी ने वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निचले स्तर के अधिकारी सोशल मीडिया पर ऐसे किसी कृत्य में लिप्त नहीं हों जो सार्वजनिक आलोचना का कारण बने और पुलिस बल की छवि धूमिल करें। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से इसके लिए भी कदम उठाने को कहा कि ऐसे वीडियो वायरल नहीं हों।
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