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Hindi News भारत राष्ट्रीय सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप

सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप

अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस उल इस्लाम को तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में आतंकवाद का कथित तौर पर समर्थन करने के लिए सरकारी नौकरी से निकाल दिया गया है। ये जानकारी एक अधिकारिक बयान में सामने आयी है।

सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया, आतंकवाद का समर्थन करने का आरो- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया, आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते को अनीस -उल-इस्लाम को बर्खास्त कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि अनीस उस इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह का उर्फ अल्ताफ फंटूश का बेटा है और उसे संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत विशेष प्रावधान का इस्तेमाल कर नौकरी से निकाल दिया गया। इस्लाम को 2016 में तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार ने शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC) में शोध अधिकारी नियुक्त किया गया था।

नियुक्ति से कुछ ही दिन पहले की थी पाकिस्तान की यात्रा

बतौर गवर्नमेंट सर्वेंट अपनी नियुक्ति से कुछ ही दिन पहले उसने (31 जुलाई 2016 से 7 अगस्त 2016) पाकिस्तान की यात्रा की थी और अपने दादा सैयद अली शाह गिलानी के हवाले से आईएसआई के कर्नल यासिर से मुलाकात की थी। बता दें कि अनीस के दादा गिलानी ने आतंकी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में मौत के बाद पूरी कश्मीर घाटी को हिंसा की आग में झोंक दिया था। यह पता चला है कि अनीस को नियुक्त करने के लिए सरकार में शीर्ष अधिकारियों का दबाव था और पूरी भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर की गई थी।

अनीस का पूरा परिवार रहा है आतंकवाद का समर्थक

यह एक ओपन सीक्रेट है कि 2016 का आंदोलन जमात-ए-इस्लामी और गिलानी के नेतृत्व वाले ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दिमाग की उपज था। गिलानी, जिनकी हाल ही में मौत हो गई, ने अपने जिहादी पोते को नौकरी दिलवाने के लिए सैकड़ों युवकों को मौत के मुंह में झोंक दिया। अनीस ही नहीं बल्कि उनका पूरा परिवार आतंकवाद और अलगाववाद का कट्टर समर्थक रहा है। ऐसा मालूम हुआ है कि अपने भारत विरोधी दोस्तों की एक टीम के साथ सरकारी सेवा में नियुक्ति से पहले वह श्रीनगर शहर में और उसके आसपास कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं और अन्य घटनाओं की ड्रोन से वीडियो बनवाता था और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ सारी फुटेज साझा करता था।

अनीस की नियुक्ति के लिए बड़े पैमाने पर हेरफेर की गई

यह भी पता चला कि अनीस की नियुक्ति के लिए बड़े पैमाने पर हेरफेर की गई थी। माना जा रहा है कि अनीस की नियुक्ति सरकार द्वारा वित्त पोषित और नियंत्रित एसकेआईसीसी में राजपत्रित ग्रेड समकक्ष पद पर अनीस की नियुक्ति तत्कालीन मुख्यमंत्री और गिलानी के बीच बुरहान वानी आंदोलन के दौरान हिंसा को कम करने के लिए एक सौदा था, क्योंकि यह पद 2005 से खाली पड़ा था और इसे भरने की तुरंत कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन अनीस के पाकिस्तान से लौटने के बाद अधिकारियों ने SKICC में खाली पद ढूंढ़ने में काफी तेजी दिखाई।

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