नई दिल्ली: सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण जारी किया कि कोई भी भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा और न ही किसी भारतीय चौकी पर कब्जा किया गया। चीन पर सर्वदलीय बैठक के बाद सरकार का पहला ऑफिशियल बयान सामने आया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि एलएसी पर किसी तरह का बदलाव भारत को बर्दाश्त नहीं है। हिंदुस्तान की सेना चीन की हर हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
सरकार ने सभी दलों के साथ बैठक में उन्हें जानकारी दी है कि चीन की सेना गलवान घाटी में परमानेंट स्ट्रक्चर बना रही थी। जब भारतीय सैनिकों ने चीन की सेना को ऐसा करने से रोका तो 15 और 16 जून की दरम्यानी रात को खूनी संघर्ष हुआ। प्रधानमंत्री मोदी की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा की ओर चीनी सेना की कोई मौजूदगी न होने वाली टिप्पणियां सशस्त्र बलों की वीरता के बाद के हालात से जुड़ी हैं।
सरकार ने सर्वदलीय बैठक में ये साफ किया कि भारत की जमीन पर चीन का कोई भी कब्जा नहीं है, जिन्होंने भारत की ओर आंख उठाकर देखने की कोशिश की उन्हें हमारे वीर जवानों ने सबक सिखाया। इस मीटिंग में सरकार ने साफ किया कि भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने गतिरोध की स्थिति पर शुक्रवार को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है।
प्रधानमंत्री ने गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने से जुड़े घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों के नेताओं को जानकारी दी। इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
पीएम मोदी के बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री ने चीनी आक्रामकता के आगे भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया है।''
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि अगर यह भूमि चीन की थी तो हमारे सैनिक क्यों शहीद हुए? वे कहां शहीद हुए? गौरतलब है कि मोदी ने भारत-चीन तनाव पर शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा कि न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा और न ही किसी ने हमारी चौकी पर कब्जा किया है।
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