नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन पाने वाली महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश के सात हफ्ते का वेतन सरकार नियोक्ताओं को वापस करेगी।
सरकार की ओर ये यह घोषणा उस वक्त की गई है जब इस तरह की शिकायतें आ रही थीं कि मातृत्व अवकाश की मियाद 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते किए जाने के बाद से कई कंपनियां गर्भवती महिलाओं को नौकरी देने में इच्छुक नहीं दिख रही हैं और कुछ तो गर्भवती महिलाओं को नौकरी से भी निकाल रही हैं। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं सरकार की इस घोषणा के दायरे में आएंगी।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह फैसला किया गया है कि श्रम कल्याण उपकर के पड़े धन का उपयोग नियोक्ताओं को देने में किया जाएगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य सरकारों के पास पड़े श्रमिक कल्याण उपकर के पैसे का उपयोग बहुत कम हो रहा है। श्रम मंत्रालय से बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 26 हफ्तों में से सात हफ्ते के वेतन की राशि नियोक्ताओं को दी जाएगी।’’
श्रीवास्तव ने कहा कि 15,000 रुपये मासिक से अधिक वेतन पाने वाली महिलाओं के अवकाश के लिए सरकार की ओर से भुगतान किया जाएगा। इसी साल सरकार ने मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया था।
श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी शिकायतें आई हैं कि मातृत्व अवकाश की मियाद बढ़ने की वजह से कई कंपनियों से महिलाओं को नौकरी से निकाला जा रहा है।
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