नई दिल्ली: .तीन तलाक के दर्द से मुस्लिम महिलाओं को फाइनल आज़ादी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को तीन तलाक पर एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को अब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश किया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 'मुस्लिम महिला(विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, 2017 को तीन तलाक संबंधित विधेयक के रूप में जाना जाता है। तीन तलाक मुसलमानों में मौखिक रूप से तलाक देने का एक तरीका है।
मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में अब तक का सबसे बड़ा फ़ैसला लिया है। एक बार में तलाक तलाक तलाक कहना अब जेल की हवा खिला सकता है। मोदी कैबिनेट ने आज ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून को मंजूरी दे दी। इस बिल के मुताबिक 3 तलाक को खेल समझने वालों को तीन साल तक की जेल हो सकती है।
इससे पहले 22 अगस्त को उत्तराखंड की सायरा बानो की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को अवैध ठहरा दिया था...जिसके बाद मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल का ड्राफ्ट तैयार किया और उसे राज्य सरकारों के पास भेजा... अबतक कई राज्य सरकारें नए ड्राफ्ट पर सहमति दे चुकी हैं..बिल के समर्थन में कई मुस्लिम धर्मगुरु भी हैं...हालांकि कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे सरकार का धार्मिक मामले में हस्तक्षेप बताया है।
इस बिल की खास बातें:
- नया कानून तलाक-ए-बिद्दत यानी इंस्टैंट ट्रिपल तलाक के खिलाफ होगा।
- मुस्लिम पुरूष एक बार में महिलाओं को तीन तलाक नहीं दे पाएंगे।
- कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल की सज़ा का प्रावधान है।
- नए कानून के मुताबिक़ ट्रिपल तलाक को ग़ैर ज़मानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने के लिए बिल को संसद के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
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