नई दिल्ली: सरकार ने भारत की यात्रा करने और तबलीगी गतिविधियों में हिस्सा लेने की चाह रखने वाले विदेशी नागरिकों को पर्यटन वीजा जारी करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह फैसला ये सामने आने के बाद लिया गया है कि एक जनवरी से अब तक लगभग 2,100 विदेशी भारत में आए और देश के विभिन्न हिस्सों में तबलीगी गतिविधियों में लग गए। इनमें से कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गये हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि विदेश मंत्रालय को सलाह दी गई है कि दूसरे देशों में भारतीय मिशनों से अनुरोध किया जा सकता है कि वे ऐसे विदेशी को पर्यटक वीजा देने से परहेज करें, जो तबलीगी गतिविधियों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय से कहा कि उसे ऐसे आवेदकों को पर्यटक वीजा देने से पहले उनके भारत में ठहरने, वापसी के टिकट और खर्चों के संबंध में जानकारी सुनिश्चित करनी चाहिये।
बता दें कि दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज में भी तबलीगी जमात ने धार्मिक आयोजन किया था, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंगलवार को बताया कि दिल्ली के कुल 97 मामलों में से 24 मामले मरकज़, निजामुद्दीन के हैं। उन्होंने कहा कि निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक आयोजन में शामिल हुए 1,548 लोगों को वहां से हटा दिया गया है।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि जिन लोगों ने आयोजन में भाग लिया था उनमें से 441 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि 1,107 लोग पृथक केन्द्र में रखे गए हैं। बता दें कि मुस्लिम स्कॉलर और रिसर्चर अतीक उर रहमान ने बताया कि तबलीग समाज की स्थापना आजादी के आंदोलन के दौरान हुई थी। करीबन 150 मिलियन से ज्यादा इनके फॉलोवर दुनियाभर में हैं।
अतीक उर रहमान के मुताबिक, ये सुन्नी समाज के मुस्लिमों में मुस्लिम धर्म के प्रचार का काम करते हैं लेकिन इनके कोई रजिस्टर परमानेंट मेंबर्स नहीं होते हैं। ये शहर-शहर जाकर मरकज मस्जिदों में लोकल लोगों को बुलाकर धर्म का प्रचार करते हैं। यह जमात इस्लाम के बेसिक को फॉलो करती है और उसका प्रचार करती है। ये ऐशो आराम की जीवन शैली और विज्ञानवादी सोच नहीं रखते, जिसके कारण मुस्लिम स्कॉलर और पढ़े-लिखे विद्वान इनके विचारों से सहमत नहीं होते हैं।
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