निर्यात, रीयल एस्टेट क्षेत्र को सरकार का प्रोत्साहन पैकेज; उद्योग जगत ने किया स्वागत
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिये शनिवार को बाजार प्रोत्साहन के उपायों की तीसरी किस्त की घोषणा की। इसमें रीयल एस्टेट तथा निर्यात क्षेत्रों को कुल मिला कर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मदद देने की योजनाएं शामिल हैं।
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिये शनिवार को बाजार प्रोत्साहन के उपायों की तीसरी किस्त की घोषणा की। इसमें रीयल एस्टेट तथा निर्यात क्षेत्रों को कुल मिला कर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मदद देने की योजनाएं शामिल हैं। इनमें अधूरी आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिये वित्तपोषण मुहैया कराने हेतु एक कोष की स्थापना जैसी योजनाओं के लिये 30 हजार करोड़ रुपये के खर्च भी योजनाएं भी शामिल हैं।
सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार कम होकर छह साल के निचले स्तर पर आ गयी है। वित्तमंत्री की इस घोषणा का देश के उद्योग संगठनों, रीयल एस्टेट कंपनियों और निर्यातकों ने स्वागत किया है। सीतारमण ने राजधानी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निर्माण के आखिरी चरण में पहुंच चुकी साफ-सुथरी अवासीय परियोजनाओं को पूरा कराने में वित्तीय मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का कोष बनाया जाएगा। इसमें करीब 10 हजार करोड़ रुपये सरकार मुहैया कराएगी तथा इतनी ही राशि अन्य स्रोतों से जुटायी जाएगी।
इस योजना का लाभ उन्हीं परियोजनाओं को मिलेगा जो एनपीए घोषित नहीं हैं और न ही उनको ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी के सुपुर्द किया गया है। इसके साथ ही आवास वित्त कंपनियों के लिए विदेश से वाणिज्यिक ऋण जुटाने के नियमों में ढील देने की भी घोषणा की गयी। वित्त मंत्री ने कहा कि भवन निर्माण के लिये ऋण पर ब्याज दर में कमी की भी व्यवस्था की गयी है। इससे विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा जो आवास क्षेत्र के सबसे बड़े खरीदार हैं।
सीतारमण ने कहा कि अंतिम चरण में धनाभाव के कारण अटकी आवासीय परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए सहायता कोष से करीब 3.5 लाख घर खरीदारों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिवाला शोधन की प्रक्रिया में गयी आवास परियोजनाओं के घर खरीदारों को एनसीएलटी से राहत मिलेगी।
रुपये में नरमी के बावजूद पिछले तीन महीने में से दो में गिरावट आयी है। वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण रीयल एस्टेट क्षेत्र में मांग में गिरावट आयी है। निर्यात प्रोत्साहन के लिए जनवरी 2020 से एक नयी योजना - निर्यात उत्पादों पर करों एवं शुल्कों से छूट (रोडीटीईपी) अमल में आ जाएगी। यह देश से वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात संवर्धन की योजना (एमईआईएस) की जगह लेगी।
सीतारमण ने कहा कि नयी योजना से निर्यातकों को इतनी राहत मिलेगी जो इस समय लागू सभी योजनाओं को मिला कर भी नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा कि इस योजना से सरकारी राजस्व पर 50 हजार करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सरकार मौजूदा योजनाओं के तहत निर्यातकों को 40 से 45 हजार करोड़ रुपये के शुल्कों/करों का रिफंड दे रही है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समूह निर्यात क्षेत्र को मिलने वाले वित्त पोषण की सक्रिय निगरानी करेगा। इसके अलावा निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) निर्यात ऋण बीमा योजना का दायरा बढ़ाएगा। इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रुपये आएगी। उन्होंने कहा कि निर्यात क्षेत्र के लिए ऋण सुविधा बढ़ाने के उपायों से विशेषकर लघु एवं मंझोले कारोबारों के लिए ब्याज सहित निर्यात ऋण की लागत कम करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि ‘निर्यातकों के लिए ऋण’ को ‘प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण’ का दर्जा देने का प्रस्ताव भारतीय रिजर्व बैंक के विचाराधीन है। इससे निर्यातकों को 36,000 करोड़ रुपये से लेकर 68,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वित्त पोषण मिलेगा।
इनके अलावा इस महीने के अंत से इनपुट टैक्स क्रेडिट का पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रिफंड, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर माल की अवाजाही में लगने वाले समय को दिसंबर से कम करने तथा मुक्त व्यापार समझौता उपयोग मिशन की भी स्थापना करने का निर्णय लिया गया। इसका उद्श्य है कि भारत के निर्यातक देश की ओर से किए गए प्रत्येक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत रियायती प्रशुल्क पर निर्यात करने का पूरा फायदा उठा सकें।
इसके अलावा देश में चार स्थानों पर हस्तशिल्प, योग, पर्यटन, कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों के लिए वार्षिक खरीदारी महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और औद्योगिक उत्पादन में सुधार के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य से अच्छी खासी नीचे है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य दिया है। हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में कुछ तेज होकर 3.21 प्रतिशत पर पहुंच गयी लेकिन यह अब भी निर्धारित दायरे में है।
सीतारमण ने कहा कि 2018-19 की चौथी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन से संबंधित सारी चिंताओं के बाद भी जुलाई 2019 तक हमें सुधार के स्पष्ट संकेत दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि आंशिक ऋण गारंटी योजना समेत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में ऋण का प्रवाह सुधारने के कदमों की घोषणा के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कई एनबीएफसी को फायदा हुआ है।’’
सरकार ने इससे पहले वाहन क्षेत्र की मदद, पूंजीगत लाभ कर में कमी और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए अतिरिक्त नकदी की सहायता जैसे उपायों की घोषणा की थी। अर्थव्यवस्था में निवेश को गति देने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को अधिक उदार बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आपस में विलय के जरिए बड़े बैंक स्थापित करने के भी फैसले किए गए हैं।
सरकार राजकोषीय स्थिति का नये सिरे से आकलन कर रही है, यह पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘यह (पांच प्रतिशत की वृद्धि दर) एक तिमाही की बात है लेकिन इसके बाद निश्चित ही हम इसपर गौर करने वाले हैं जो मैंने बजट में कहा उसके साथ इसका मिलान करने वाले हैं और हम यह तय करेंगे कि हम किस जगह और किस स्तर पर हैं।’’ वित्त मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि वह वृद्धि दर के गिर कर पांच प्रतिशत पर आने की बात की कोई उपेक्षा नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार बजट के पूर्वानुमान से अलग है। हम निश्चित ही नये सिरे से इनका मिलान करेंगे तथा हम जिस अवस्था अथवा स्तर पर हैं उसके आधार पर कदम उठायेंगे।