जम्मू। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द किये जाने के बाद से जम्मू में रह रहे गोरखा समुदाय के लोगों को लगता है कि उन्हें अब स्थायी निवास प्रमाणपत्र मिलेगा, जिससे उनके बच्चे नौकरियों एवं अपनी पसंद के पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
उनके पूर्वज दशकों पहले डोगरा सेना के साथ मिल कर लड़ाई लड़ने के लिए नेपाल से जम्मू कश्मीर आए थे और यहां तक कि अब भी ज्यादातर परिवारों में कम से कम एक पूर्व सैनिक हैं, लेकिन उनका कहना है कि वे कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
गोरखा समुदाय के लोगों को विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनावों में वोट देने की इजाजत है जबकि वे तीन दशकों से स्थायी निवास प्रमाणपत्र, नामित किये जाने के जरिए विधानपरिषद में प्रतिनिधित्व, अनुसूचित जनजाति का दर्जा और अपने बच्चों के लिए सैनिक स्कूलों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
यहां बहू किला के पास गोरखाओं की एक घनी बस्ती में रहने वाले पूर्व सैनिक शेर बहादुर राणा (81) ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी घुसपैठियों के हमले के बाद 1947 में हम जम्मू आए थे। मेरे पिता उनसे लड़ने गये थे। वह भी भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और 1978 में सेवानिवृत्त हो गये। बाद में उनका बेटा भी उनके नक्शेकदम पर चला और देश की सेवा की।’’
उन्होंने कहा, “ स्थायी नागरिकता नहीं दिये जाने से समुदाय पिछड़ गया। हमारे बच्चे सरकारी नौकरियों, प्रोफेशनल कॉलेजों में सीटों से वंचित हो गये। वे अलग रहने के लिए जमीन भी नहीं खरीद सकते।’’
पूर्व सैनिक किशन बहादुर (70) ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर सरकार का कदम समुदाय के बीच उम्मीद की यह किरण लेकर आई है कि देश में हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित है।
जम्मू- कश्मीर गोरखा सभा की अध्यक्ष करूणा छत्री ने दावा किया कि 500 से अधिक परिवारों में 95 फीसदी में कम से कम एक पूर्व सैनिक हैं। गोरखा सभा युवा प्रमुख मनीष अधिकारी ने कहा कि वह भारतीय वायुसेना की लिखित परीक्षा में पास हो गये थे लेकिन उसमें नहीं जा सके क्योंकि वह जम्मू कश्मीर का स्थायी निवास प्रमाणपत्र सौंपने में नाकाम रहे थे।
उन्होंने बताया कि आस्ट्रेलिया में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में तलवारबाजी में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली टीम का हिस्सा रहे सागर साही को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इस आधार पर नौकरी देने से मना कर दिया गया कि उनके पास स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं था। बाद में, वह थल सेना में खेल श्रेणी के तहत भर्ती हुए और देश की सेवा कर रहे हैं।
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