एंड्रॉयड मोबाइल यूजर्स के फोन में अचानक कैसे हुआ नंबर ऐड, हुआ खुलासा
इस मामले के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि जब बिना इजाज़त यूजर्स की फोनबुक तक पहुंचा जा सकता है तो इस बात की क्या गारंटी है कि फोन में मौजूद बाकी पसर्नल डेटा मसलन फोटो, वीडियो और चैट से छेड़छाड़ ना हो।
नई दिल्ली: एक नंबर जिसने अचानक देश में करोड़ों मोबाइल यूजर्स के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया। एक ऐसा नंबर जो यूजर्स ने कभी मोबाइल में फीड किया ही नहीं लेकिन वो नंबर मोबाइल की कॉन्टैक्ट लिस्ट में नज़र आ रहा था। दावा किया गया कि ये नंबर आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई का है लेकिन लोगों की बेचैनी तब और बढ़ गई जब यूआईडीएआई ने इस दावों को खारिज कर दिया। अब लोग हैरान थे कि आखिर ये नंबर मोबाइल में कैसे आया।
1800-300-1947, ये वो नंबर है जो इस वक़्त शायद आपके एंड्रॉयड मोबाइल में भी सेव हो और उससे भी ज़्यादा हैरानी ये कि इस नंबर को आपने मोबाइल में कभी ऐड किया ही नहीं। तो सवाल ये कि आखिर ये नंबर आपके मोबाइल में आया कैसे। ट्विटर पर यूजर्स ने कई सवाल उठाए। किसी को हैकिंग का डर सताने लगा तो किसी ने इसे यूआईडीएआई और मोबाइल ऑपरेटर्स का कदम बताया।
वहीं, यूआईडीएआई का कहना है कि एंड्रायड फोन में जो आधार हेल्पलाइन नंबर दिख रहा है, वह पुराना है और वैध नहीं है। आधिकारिक बयान में कहा गया, "यूआईडीएआई का वैध टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1947 है, जो पिछले दो सालों से ज्यादा समय से चल रहा है।"
इस विचित्र घटना में दूरसंचार उद्योग ने किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता का हाथ होने से इनकार किया है। सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने एक बयान में कहा, "कई सारे मोबाइल हैंडसेट्स के फोनबुक में कुछ अज्ञात नंबर के सेव हो जाने में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की कोई भूमिका नहीं है।" दूरसंचार कंपनियों ने हालांकि इस मुद्दे पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनका भी यही कहना है, जो सीओएआई ने कहा है।
इस मामले के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि जब बिना इजाज़त यूजर्स की फोनबुक तक पहुंचा जा सकता है तो इस बात की क्या गारंटी है कि फोन में मौजूद बाकी पसर्नल डेटा मसलन फोटो, वीडियो और चैट से छेड़छाड़ ना हो, वो भी डिजिटाइजेशन के उस दौर में जब लोग बिल पेमेंट से लेकर मनी ट्रांसफर तक के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं।
मामला बढ़ा तो इस पर राजनीति भी तेज़ हो गई। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “अब लोगों के ऐंड्रॉयड मोबाइल फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट में उनकी मर्जी के बिना ‘आधार कार्ड’ की हेल्पलाइन का नंबर अवैध रूप से सेव हो गया है। इसका मतलब कुछ लोगों ने आपके फोन और उसकी सूचनाओं तक अपनी पहुंच बना ली है। इनमें वे लोग भी होगें, जो कहते हैं कि EVM पूरी तरह सुरक्षित है।“
वहीं देर रात ऐंड्रॉयड की पैरंट कंपनी गूगल के स्पष्टीकरण से पूरे मामले से पर्दा उठा। गूगल के मुताबिक, हेल्पलाइन नंबर- 1800-300-1947- ऐंड्रॉयड फोन्स में 2014 में ही कोड किया गया था। वैसे यह बात और है कि कई यूजर्स ने अभी इसे अपने फोन पर देखा। गूगल के एक प्रवक्ता ने बताया, हमारी आंतरिक समीक्षा में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2014 में UIDAI हेल्पलाइन और आपदा हेल्पलाइन नंबर 112 अनजाने में ऐंड्रॉयड के सेटअप विज़र्ड में कोड कर दिया गया था और भारत के फोन निर्माता कंपनियों (OEMs) के लिए इसे जारी कर दिया गया था। तब से यह मोबाइल फोन यूजर्स के कॉन्टैक्ट लिस्ट में ये दोनों नंबर हैं।