पणजी: गोवा सरकार राज्य में चिकित्सा उद्देश्यों के लिए कानूनी तौर पर भांग (कैनबिस) की खेती को अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। कानून मंत्री निलेश कैबरल ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रस्ताव को स्वास्थ्य विभाग ने ट्रांसफर कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोवा में शराब की बिक्री के समान अन्य राज्यों में भांग कानूनी रूप से बेची जा रही है। उन्होंने कहा, ‘फाइल कानून विभाग से हमारे पास आई थी। हम इसे केवल कानूनी नजरिए से देख रहे हैं।’
‘गोवा में पहले कानूनी थे चरस और भांग’
प्रस्ताव के मुताबिक, औषधीय उद्देश्य के लिए भांग, जिसे मारिजुआना और कैनबिस के तौर पर भी जाना जाता है, उसकी नियंत्रित खेती की अनुमति देने की संभावना है। इसके पीछे का मकसद दवा कंपनियों को प्राकृतिक दवा बेचना है। कानून मंत्री ने कहा कि प्रस्ताव के बारे में विवादास्पद कुछ भी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि 1985 में नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम लागू होने से पहले, गोवा में चरस (हैश) और गांजा (मारिजुआना) कानूनी रूप से उपलब्ध थे। मंत्री ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की लॉबिंग के कारण एनडीपीएस अधिनियम भारत में पेश किया गया था, जिसके बाद दवा क्षेत्र की ओर से दबाव डाला जा रहा है।’
‘इससे गोवा के युवाओं को क्या फायदा होगा’
कैबरल ने कहा कि जिस तरह से शराब की बिक्री होती है, वैसी ही भांग को भी भारत में कुछ राज्यों में लाइसेंस प्राप्त दुकानों में बेचा जा रहा है। बता दें कि गोवा में विपक्ष इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ पार्टी पर जमकर निशाना साध रहा है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने कहा कि यह कदम राज्य, विशेषकर युवाओं के हित में नहीं है। गोवा फॉरवर्ड के प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री विजई सरदेसाई ने सवाल दागते हुए कहा, ‘इससे गोवा के युवाओं को क्या फायदा होगा? क्या यह उनके भविष्य के लिए जरूरी है?’
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