पणजी। कोरोना वायरस संक्रमण का प्रकोप और उसके मद्देनजर लगे लॉकडाउन के बीच गोवा में तनाव और घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। गोवा में विशेषज्ञों के अनुसार घरेलू हिंसा के मामलों के अनेक फोन कॉल आ रहे हैं और तनाव के मामलों में भी तेजी से इजाफा हुआ है। काउंसलर अदिति तेंदुलकर ने कहा, ‘‘लॉकडाउन की अवधारणा हमारे लिए नयी है और हम इसके साथ रहने के आदी नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि बंद के दौरान इन दिनों चिंता, हताशा, दौरे, भूख कम होना, अवसाद, मिजाज बार-बार बदलना, अनिद्रा, डर और खुदकुशी के प्रयासों की प्रवृत्ति जैसे मामलों में वृद्धि दर्ज की गयी है।
साइकियाट्रिक सोसायटी ऑफ गोवा (पीएसजी) ने लॉकडाउन के दौरान नागरिकों को निशुल्क ऑनलाइन मनोवैज्ञानिक सलाह देने और इलाज करने के लिए ‘कोविडोव’ नामक सेवा शुरू की है। पीएसजी की पहल में शामिल मनोचिकित्सक डॉ प्रियंका सहस्रभोजानी ने कहा कि लॉकडाउन ने उन लोगों की हालात बिगाड़ दी है जो पहले से मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन मादक पदार्थों की लत वाले उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है जो शराब या अन्य ऐसी चीजें नहीं मिलने से परेशान हैं।’’ उन्होंने कहा कि मानसिक समस्याओं के शिकार लोगों को उन्हें सुझाई गयी दवाएं भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उनकी हालत और खराब हो रही है। सहस्रभोजानी के अनुसार इस दौरान वित्तीय अनिश्चितता भी तनाव का एक बड़ा कारण है। गोवा में कोरोना वायरस के अबतक 7 मामले सामने आ चुके हैं।
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