नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना पाकिस्तान से लेकर चीन सीमा तक अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास गगन शक्ति कर रही है। इस युद्धाभ्यास का मकसद है भले ही फिलहाल युद्ध ना हो रहा हो लेकिन तैयारियों में कोई कसर ना छोड़ी जाए। बीते 72 घंटे में जहां भारत के लड़ाकू विमानों ने पांच हजार उड़ाने भरीं, वहीं अब वायु सेना ने लड़ाकू विमानों को पूर्वी सीमाओं पर भेजना शुरू कर दिया है। ये युद्धाभ्यास पाकिस्तान से सटी पश्चिमी और चीन से सटी उत्तरी सीमा पर हो रहा है। इस युद्धाभ्यास के लिए सेना के 300 अफ़सर और करीब 15,000 वायु सैनिक सीमा पर मौजूद हैं। वायुसेना के इस अभ्यास में इंडियन आर्मी और नेवी भी शामिल है।
अब तक के सबसे बड़े इस युद्धाभ्यास में करीब 600 लड़ाकू विमानों के साथ ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर्स को मिला दें तो इस युद्धाभ्यास में करीब 1100 विमानों-हेलीकॉप्टरों ने हिस्सा लिया है। इनमें तेजस, सुखोई 30, मिग, जगुआर, मिराज-सब शामिल हैं। अभ्यास का फोकस पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर कार्रवाई की तैयारी करना है। इसी सिलसिले में वायुसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) और इससे आगे तक अपनी मारक क्षमता की जांच करने के लिए पश्चिमी समुद्र तट पर समुद्री हवाई अभ्यास किया।
वायुसेना ने एक बयान में कहा कि अपने जारी अभ्यास गगनशक्ति के तहत वायुसेना ने पश्चिमी समुद्र तट पर समुद्री हवाई अभ्यास किया। इसका स्पष्ट लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हित के इलाकों में काफी अंदर तक अपनी मारक क्षमता को जांचना है। रक्षा सचिव संजय मित्रा और वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एसबी देव ने हरियाणा स्थित सिरसा एयरफोर्स बेस का दौरा किया और इस अभ्यास का जायजा लिया। बाद में , मित्रा और देव ने सुखोई लड़ाकू विमान से उड़ान भरी।
बयान में बताया कि अभ्यास में सुखोई 30 लड़ाकू विमानों के एक बेड़े ने पूर्वी तट के एक वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी और 2,500 किमी की दूरी तय कर पश्चिमी तट पर कई लक्ष्यों को भेदा। बाद में यह दक्षिण वायुसेना अड्डे पर उतरा। इस तरह कुल 4,000 किमी की दूरी एक मिशन में तय की। वायुसेना ने बताया कि आईएल - 78 फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की सहायता से यह संभव हो पाया।
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