नंगे पांव स्कूल जाने वाले अजीत जोगी ने कलेक्टर के रूप में की थी राजीव गांधी की खूब आवभगत, ईनाम में मिला छत्तीसगढ़
अर्जुन सिंह की सिफारिश और राजीव गांधी के कहने पर अजीत जोगी ने नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में प्रवेश किया। 1986 में वह राज्यसभा सांसद बने।
नई दिल्ली। 2000 में स्थापित छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार को रायपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। प्रशासनिक कौशल में माहिल होने के साथ-साथ अजीत जोगी राजनेताओं के साथ दोस्ती करने में भी पारंगत थे। यही खासियत उन्हें प्रशासनिक जीवन से राजनैतिक सफर पर ले आई। अजीत जोगी के बारे में कहा जहा है कि उन्होंने पहले आईपीएस की परीक्षा पास की और उसके बार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने। जब वह रायपुर के कलेक्टर थे तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, जो इंडियन एयरलाइंस के पायलेट हुआ करते थे, एक दिन विमान लेकर रायपुर पहुंचे तब एयरपोर्ट पर तत्कालीन कलेक्टर अजीत जोगी ने उनकी खूब आवभगत की। जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री तब अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर थे। उसी समय अर्जुन सिंह की सिफारिश और राजीव गांधी के कहने पर अजीत जोगी ने नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में प्रवेश किया। 1986 में वह राज्यसभा सांसद बने।
29 अप्रैल 1946 को जन्म अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने काफी संघर्ष से मुकाम हासिल किया है. कई इंटरव्यू में वह खुद बताते हैं कि शुरुआती स्कूल के दिनों में जूते-चप्पल खरीदने के पैसे उनके पास नहीं थे और वह नंगे पैर स्कूल जाते थे। अजीत जोगी के पिता ने ईसाई धर्म स्वीकार किया था। ऐसे में उन्हें मिशन की मदद मिली और वह स्कूली शिक्षा में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज तक पहुंचे। भोपाल के मौलाना आज़ाद कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी से जोगी मेकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडेलिस्ट हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मैडल हासिल किया। इसके बाद वह रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने लगे। लेकिन इस दौरान वह लगातार सिविल सर्विसेज की तैयारी करते रहे। इसमें भी उन्हें कामयाबी मिली और वह आईपीएस के लिए सिलेक्ट हुए और डेढ़ साल बाद ही वह आईएएस बन गए। वे लगातार 14 सालों तक कलेक्टर रहे हैं, जिसे वह एक रिकॉर्ड बताते हैं। साल 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन पर वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। वह दो बार राज्यसभा सदस्य, दो बार लोकसभा सदस्य, एक बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके हैं।
वे दूरदर्शी थे ही, पढ़ने-लिखने के भी शौकीन थे। ऐसे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की नजर उन पर पड़ी और जोगी इस दिग्गज कांग्रेस के करीब आ गए। कहा जाता है कि वह जब कलेक्टर हुआ करते थे तभी से उन्होंने नेताओं से करीबी बनानी शुरू कर दी थी। रायपुर में रहते हुए उन्होंने सबसे पहले कांग्रेस के शीर्ष नेता विद्याचरण शुक्ला और श्यामाचरण शुक्ला से नजदीकी बढ़ाई। इस बीच वह अर्जुन सिंह के भी करीब आ गए। साल 1986 में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति का एक प्रत्याशी खोज रही थी। चूंकि अजीत जोगी अर्जुन सिंह को साधने में सफल हो चुके थे। ऐसे में अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह को कहा कि वह अजीत जोगी को लेकर राजीव गांधी के पास जाएं। जोगी को देखते ही राजीव ने कहा, मैं इन्हें जानता हूं। इन्हें प्रत्याशी बनाइए।
कांग्रेस में रहते हुए जोगी ने धीरे-धीरे ऊंचाइयां तय कीं। 1986 से 1998 तक राज्यसभा में बिताने के बाद 1998 में ही वे रायगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत गए। लेकिन 13 महीने में केंद्र की सरकार गिर गई और जोगी ने 1999 में शहडोल से चुनावी लड़ाई का मन बनाया। लेकिन इस चुनाव में वे हार गए। इसी दौरान कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लिए पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया। इसी दौरान छत्तीसगढ़ राज्य बनने की मुहिम शुरू हो गई और कांग्रेस में दिग्विजय खेमे ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री की वकालत की। शुक्ल-बंधुओं से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की दूरी का फायदा, अजीत जोगी को मिला और वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए।
साल 2004 में एक चुनाव प्रचार के दौरान अजीत जोगी का एक्सीडेंट हो गया। उनके पैर में गंभीर चोटें आईं और वह चलने में बिल्कुल अक्षम हो गए। डॉक्टर ने लाख कोशिश की। इस दौरान इसकी भी खबरें आने लगी कि जोगी ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहेंगे। ऐसी खबरों पर जोगी ने मुस्कुराते हुए कहा था, मुझे इच्छा मृत्यु का वरदान मिला है। 100 साल से पहले आप लोगों के बीच से जाने वाला नहीं हूं। जिस तरह इस हादसे के बावजूद राजनीति में उनकी सक्रियता है, वह उनकी जीवटता को ही दिखाता है।
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी भी राजनीति में सक्रिय हैं और विधायक हैं। साल 2000 में पिता के मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर एनसीपी के एक नेता की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद वह लंबे समय तक जेल में रहे। उनके विरोधी यहां तक कहते हैं कि अमित, संजय गांधी की तरह हैं। कहा जाता है कि बाद के विधानसभा चुनावों में तो विपक्षी सिर्फ ये कह कर कि अजीत जोगी फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे चुनाव जीत गए।
अजीत जोगी की जाति को लेकर विवाद है। वह जिस परिवार से आते हैं वह अनुसूचित जाति में हैं। लेकिन जोगी के पास आदिवासी होने का सर्टिफिकेट है। विपक्ष के लोग आरोप लगाते हैं कि जोगी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर सर्टिफिकेट बनवाया है। उनका आरोप है कि अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर ले तो उसका आरक्षण समाप्त हो जाता है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। जोगी पर यह भी आरोप लगता है कि वह रमन सिंह से मिले हुए हैं और कांग्रेस को हराने का काम करते हैं। साल 2013 में जिस नक्सली हमले में प्रदेश कांग्रेस का पूरा शीर्ष नेतृत्व मारा गया, उसकी साजिश में जोगी का नाम भी आया। लेकिन, जोगी ने अपने ऊपर आरोप लगाने वाले सभी लोगों पर मानहानि का केस कर दिया।