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Hindi News भारत राष्ट्रीय लंबी बीमारी के बाद पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन, 10 तस्वीरों के साथ जानिए उनकी 10 बातें

लंबी बीमारी के बाद पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन, 10 तस्वीरों के साथ जानिए उनकी 10 बातें

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में आखिरी सांस ली। वह AIIMS में 9 अगस्त से भर्ती थी।

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नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में आखिरी सांस ली। वह AIIMS में 9 अगस्त से भर्ती थी। उन्हें सांस लेने में दिक्‍कत होने के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और फिर (आज) शनिवार को उन्होंने AIIMS में आखिरी सांस ली। ऐसे में चलिए उनकी 10 तस्वीरों के साथ उनके बारे में 10 बातें जानते हैं।

अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में एक्टिव थे। छात्र जीवन में अरुण जेटली आरएसएस की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य थे। अरुण जेटली ने स्नातक के दिनों में देशभर में प्रसिद्ध श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र थे, वो इस कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद अरुण जेटली ने वकालत में एडमिश्न लिया और साल 1974 में एबीवीपी के प्रत्याशी के तौर पर डीयू के अध्यक्ष चुने गए।

इंदिरा गांधी के शासन के दौरान जब देश में आपातकाल लागू किया गए तो देशभर के कई नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। उन दिनों सरकार का विरोध करने पर अरुण जेटली को भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में 19 महीने के लिए बंद कर दिया गया। जेल में अरुण जेटली की मुलाकात विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले दिग्गजों से हुई।

साल 1977 में हुए चुनावों में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में अरुण जेटली ने लोकतात्रिक युवा मार्चा के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर देशभर में चुनाव प्रसार किया।

एबीवीपी, लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर चुके अरुण जेटली की भाजपा में एंट्री साल 1980 में हुई। उन दिनों अरुण जेटली दिल्ली में वकालत भी कर रहे थे। एक वकील और एक नेता के तौर पर अरुण जेटली देशभर मे विख्यात होते जा रहे थे। अरुण जेटली को साल 1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया गया।

अरुण जेटली साल 1990 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। बतौर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, अरुण जेटली को बोफोर्स केस सौंपा गया, जिस मामले ने उन दिनों देश की राजनीति को हिला दिया था।

अरुण जेटली को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री पद दिया गया। उन्हें 1999 में राज्य मंत्री का पद दिया गया था, इसके बाद वो साल 2000 में भारत के कानून न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बनाए गए। अगले ही साल उन्हें जहाजरानी मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गई, जहां उन्होंने पोर्ट्स के आधुनिकीकरण की तरफ खास ध्यान दिया।

एक तरफ जहां अरुण जेटली केंद्र की अटल बिहारी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को बेहतरीन तरीके से संभाल रहे थे, वहीं दूसरी तरफ उनका कद संगठन की राजनीति में भी बढ़ रहा था। साल 2002 में अरुण जेटली भाजपा के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। देश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी वो भाजपा के प्रमुख चेहरों में बने रहे। साल 2006 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा गया।

साल 2009 में अरुण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। भाजपा के एक पद वाली नीति के तहत उन्होंने संगठन के जनरल सेक्रेटरी के दायित्व से इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत के तौर पर उन्होंने CWG स्कैम, महिला आरक्षण बिल, इंडिया-अमेरिका न्यूक्लियर डील सहित कई मुद्दों पर दमदार भूमिका निभाई। साल 2012 में अरुण जेटली एकबार फिर से गुजरात से राज्यसभा के लिए चुने गए।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके अरुण जेटली को साल 2014 की मोदी सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। हालांकि लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट पर वो हार गए, लेकिन उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें वित्त, रक्षा के अलावा भी कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई। मार्च 2018 में अरुण जेटली यूपी से राज्यसभा सदस्य चुने गए। लगातार गिरती सेहत के मद्देनजर अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री पद लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्टी लिखकर कोई भी दायित्व न देने का अनुरोध किया।

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