जब ID Proof न होने पर मतदान नहीं कर सके पूर्व चुनाव आयुक्त
कुरैशी ने बताया कि जब उन्हें रोका गया तो उनके द्वारा मतदान से पहले की जाने वाली औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अपना वैकल्पिक आईडी दस्तावेज - अपना आधार कार्ड पेश किया गया लेकिन IIC इलेक्शन ऑफिसरों द्वारा संस्था द्वारा जारी किए गए स्मार्ट आईडी कार्ड पर ही जोर दिया गया। हालांकि IIC प्रबंधन ने कुरैशी के आरोप का खंडन किया।
नई दिल्ली. साल 2010 से 2012 के भारत में चुनाव आयोग के कमिश्नर रहे एसवाई कुरैशी के साथ रविवार को अनोखी घटना घटी। कभी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव करवाने वाले एसवाई कुरैशी को राजधानी नई के इंडिया इंटरनेशल सेंटर में चुनाव के दौरान मतदान से रोक दिया गया। एसवाई कुरैशी को मतदान सिर्फ इसलिए नहीं करने दिया गया क्योंकि उनके पास elite club द्वारा अपने सदस्यों के लिए जारी स्मार्ट पहचान पत्र नहीं था। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में इस बात की जानकारी दी गई।
कुरैशी ने बताया कि जब उन्हें रोका गया तो उनके द्वारा मतदान से पहले की जाने वाली औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अपना वैकल्पिक आईडी दस्तावेज - अपना आधार कार्ड पेश किया गया लेकिन IIC इलेक्शन ऑफिसरों द्वारा संस्था द्वारा जारी किए गए स्मार्ट आईडी कार्ड पर ही जोर दिया गया। हालांकि IIC प्रबंधन ने कुरैशी के आरोप का खंडन किया।
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खबर में आगे बताया गया है कि जब IIC के सेक्रेटरी कंवल वाली से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे और इस बात को ध्यान रखते हुए कि हमारे कई सदस्य भारत से बाहर हैं, हमने सभी सदस्यों को अपने वोट डालने के लिए दो विकल्प दिए गए थे, या तो इलेक्ट्रॉनिक या फिजिकली। 10 मार्च से 14 मार्च के बीच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पूरी होने के बाद, उन सदस्यों की लिस्ट बनाई गई जो इलेक्ट्रॉनिक अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाए थे और उन्हें 21 मार्च को खुद प्रजेंट होकर वोट करने के लिए कहा गया था। कुरैशी को भी मेल गया था। जब वोट वोट डालने आए, उस समय वो न तो स्मार्ट आईडी कार्ड लाए थे जिसके लिए उन्होंने 19 मार्च को अप्लाई किया था औऱ न ही पुराना मेंबरशिप कार्ड लाए थे, जो वोट डालने के लिए पहचान का स्वीकार्य प्रमाण था।
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वाली ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी ने उनसे प्रक्रिया के अनुसार पुराना सदस्यता कार्ड लाने का अनुरोध किया और उन्हें बताया कि उसे इसके बिना मतदान करने की अनुमति नहीं होगी। तब कुरैशी, जो पूर्व सीईसी है और प्रक्रिया से अच्छी तरह वाकिफ है, ने माना कि नियत प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
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आपको बता दें कि IIC ने रविवार को एक ट्रस्टी और कार्यकारी समिति के दो सदस्यों के लिए चुनाव आयोजित किए। कुरैशी द्वारा अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक रीट्वीट के अनुसार, पूर्व सीईसी ने IIC स्मार्ट कार्ड के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्हें रसीद नहीं दी गई थी। कुरैशी की यह दलील भी रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अनसुनी कर दी गई कि चुनाव आयोग के पास 13 आईडी कार्डों की एक सूची थी, जिनका उपयोग मतदाता स्वयं की पहचान करने के लिए कर सकते है।
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कुरैशी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि चुनाव आयोग देशभर में चुनाव आयोजित करता है लेकिन शायद IIC चुनाव आयोग की तुलना में अधिक मजबूत प्रणाली का अनुसरण करता है। कुरैशी को वोट न करने देने से IIC के कुछ सीनियर सदस्यों ने नाराजगी भी जताई है।
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