इंदौर: प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोविड-19 के मरीजों के इलाज में मदद के लिए मध्यप्रदेश के पहले प्लाज्मा बैंक की इंदौर के एक निजी अस्पताल में मंगलवार को औपचारिक शुरुआत हुई। अधिकारियों ने बताया कि यह प्लाज्मा बैंक श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में 20 प्लाज्मा इकाइयों के साथ शुरू किया गया है। इस बैंक में ऐसे दानदाताओं का प्लाज्मा जुटाया जा रहा है जो इलाज के बाद कोविड-19 को मात दे चुके हैं।
इस मौके पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट किया, "मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत करने वाले सैम्स द्वारा राज्य के पहले प्लाज्मा बैंक की स्थापना की जा रही है। उम्मीद है कि प्लाज्मा थेरेपी से इलाज कराने वाले मरीजों के लिए इस बैंक की स्थापना बेहद कारगर साबित होगी।" सैम्स के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे अन्य अस्पतालों के अनुरोध पर उन्हें भी प्लाज्मा बैंक से प्लाज्मा मुहैया कराया जाएगा।
उन्होंने बताया, "इलाज के बाद कोविड-19 से उबर चुके लोग प्लाज्मा दान के लिये रोज हमसे संपर्क कर रहे हैं।" सैम्स, कोविड-19 के भर्ती मरीजों की तादाद के लिहाज से समूचे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। डोसी ने बताया कि इस अस्पताल में अब तक महामारी के करीब 3,000 मरीजों का इलाज किया गया है जिनमें से 19 लोगों को प्लाज्मा चढ़ाया गया है। जानकारों ने बताया कि कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके लोगों के खून में "एंटीबॉडीज" बन जाती हैं जो भविष्य में इस बीमारी से लड़ने में उनकी मदद करती हैं।
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए व्यक्ति के खून से प्लाज्मा अलग किया जाता है और इसे संक्रमित मरीज के शरीर में डाला जाता है ताकि वह इस रोग को मात दे सके। इंदौर, देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में अब तक इस महामारी के कुल 4,709 मरीज मिले हैं। इनमें से 229 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि 3,452 लोग उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं।
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