नई दिल्ली। अगर दिल्ली की आप सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में संचालक मंडलों का गठन नहीं होने पर उन्हें निधि जारी नहीं करती तो इन कॉलेजों के 2700 से अधिक शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों को इस महीने से वेतन नहीं मिलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इन 12 कॉलेजों का पूरी तरह वित्तपोषण दिल्ली सरकार करती है। ये कॉलेज वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं और वेतन का भुगतान करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
कॉलेजों में संचालक मंडलों के गठन के मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों एक दूसरे पर प्रक्रिया को लटकाने का आरोप लगा रहे हैं। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई है। हमने कॉलेजों से जो स्पष्टीकरण मांगा है, उस पर अगर जवाब मिल जाता है तो हम आगे काम करेंगे।’’
दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रोफेसर अनुराग मिश्रा ने कहा, ‘‘शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों का वेतन लटका हुआ है। हमारे पास धन नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल ईडब्ल्यूएस श्रेणी आने से छात्रों की संख्या में इजाफा होगा लेकिन बुनियादी संरचना के विकास के लिए पैसा नहीं है। छात्रों की निश्चित संख्या के लिए ही कक्षाएं और प्रयोगशालाएं बनाई गयी है। लेकिन अगर कॉलेज बुनियादी ढांचे का विस्तार करना चाहते हैं तो उनके पास पैसा नहीं है।’’
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, ‘‘कॉलेज को वेतन के लिए कॉलेज सोसायटी के कोष से धन लेने को मजबूर होना पड़ा है। यह केवल एक महीने तक ही चल सकता है। कॉलेज ने हमारे शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की वेतनवृद्धि तक नहीं दी है। कॉलेज प्राचार्य ने दिल्ली सरकार को दो बार पत्र भेजकर धन जारी करने का अनुरोध किया है लेकिन कुछ नहीं हुआ।’’ आर्यभट्ट कॉलेज के प्राचार्य और विश्वविद्यालय के प्राचार्य संघ के सचिव मनोज सिन्हा के अनुसार कॉलेज इस गतिरोध की वजह से प्रभावित हो रहे हैं।
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