नई दिल्ली। कंप्यूटरों की निगरानी का 10 राष्ट्रीय एजेंसियों को अधिकार देने के सरकार के फैसले का विपक्षी दलों के विरोध के बाद सरकार ने इसपर सफाई दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि उन्हीं मामलों में यह नियम लागू होगा जिनका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से होगा। वित्त मंत्री ने राज्य सभा में इसके बारे में यह जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने कहा कि बेहतर होता विपक्ष जानकारी लेकर से मुद्दा उठाता। हर टेलीफोन, हर कंप्यूटर की बात नही है। जहां जहां नेशनल सिक्युरिटी की बात आती है तो कुछ एजेसियों को इंटरसेप्शन का अधिकार होता है, उन्होंने कहा कि कौन सी एजेंसियां इटरसेप्ट करेंगी इसके रूल्स 2009 में यूपीए ने बनाया, वही आर्डर अभी रिपीट हुआ है। सिर्फ वही ये लागू होगा जिसका संबंध नेशनल सिक्यूरिटी से है।
गुरुवार को गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।
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