किसानों ने ठुकराया केंद्र सरकार का प्रस्ताव, जारी रखेंगे आंदोलन
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को 10वें दौर की बैठक के दौरान रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को 10वें दौर की बैठक के दौरान रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1.5 साल तक क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है। इसके जवाब में किसानों ने सोचने के लिए वक्त मांगा था और आज किसानों में अपना फैसला सुना दिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, अब वह आंदोलन जारी रखेंगे।
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, "सरकार जब तक कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेती, सरकार का कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा। कल हम सरकार को कहेंगे कि इन क़ानूनों को वापस कराना, MSP पर क़ानूनी अधिकार लेना यही हमारा लक्ष्य है। हमने सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया है।" बता दें कि किसानों और सरकार के बीच अब 11वें दौर की बातचीत 22 जनवरी को विज्ञान भवन में होगी।
22 जनवरी को होने वाली इस बैठक में किसान संगठन अपना फैसला केंद्र सरकार को बताएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 'हम सरकार का प्रपोजल रिजेक्ट करते हैं। एमएसपी पर कानून बनाए जाने और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करना हमारी मांग है। हम 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को ट्रेक्टर मार्च करेंगे। यही बात कल मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बताएंगे।'
उल्लेखनीय है कि सरकार और किसान संगठनों के मध्य चल रही वार्ता के बीच उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को गतिरोध समाप्त करने के मकसद से चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए। इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया।
उच्चतम न्यायालय ने नये कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों द्वारा आक्षेप लगाए जाने को लेकर बुधवार को नाराजगी जाहिर की। साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि उसने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है, यह शिकायतें सुनेगी तथा सिर्फ रिपोर्ट देगी।