पश्चिमी मध्य प्रदेश में बुवाई की तैयारी को भूलकर आंदोलन की राह पर अन्नदाता
पिछले नौ दिन से जारी किसान आंदोलन की वजह से इस इलाके के अधिकतर खेतों में फिलहाल सन्नाटा पसरा है। किसान आंदोलन के दौरान अलग अलग हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं।
मंदसौर: पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में मॉनसून की आमद से ऐन पहले इन दिनों खेत सूने हैं और खासकर फसलों का सही मूल्य नहीं मिलने से नाराज किसान बुवाई की तैयारियां करने के बजाय एक जून से आंदोलन की राह पर डटे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों की मुख्य मांग है कि उन्हें फसलों के सही दाम मिलें, ताकि खेती उनके लिए घाटे का सौदा साबित ना हो। मंदसौर-नीमच क्षेत्र सूबे के किसान आंदोलन का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है जहां पुलिस की हालिया गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गयी थी। मौसम विभाग के मुताबिक राजस्थान की सीमा से सटे इस क्षेत्र में मॉनसून 20 से 22 जून तक पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन पिछले नौ दिन से जारी किसान आंदोलन की वजह से इस इलाके के अधिकतर खेतों में फिलहाल सन्नाटा पसरा है। किसान आंदोलन के दौरान अलग अलग हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
नीमच जिले के किसान कमलेश खजूरिया :33: ने आज कहा, मैंने तीन बीघा में कलौंजी :एक तरह की मसाला फसल: बोई थी। लेकिन मौसम की मार के कारण फसल बर्बाद हो गयी। इसके बाद कलौंजी के भाव इस तरह गिरे कि मेरे लिए घाटे का बोझ और बढ़ गया। हमारी सरकार से हाथ जोड़कर एक ही मांग है कि वह हमें फसलों के उचित दाम दिलाए। कारोबारी सूत्रों ने बताया कि इस बार स्थानीय स्तर पर कलौंजी के भाव पिछले साल के मुकाबले काफी गिर गये हैं। इस साल कलौंजी के भाव 5,700 से 7,000 रपये प्रति कुंटल के बीच चल रहे हैं। जबकि पिछले साल इसके दाम 25,000 रपये प्रति क्विंटल के अधिकतम स्तर तक पहुंच गये थे। इससे आकर्षित होकर कई किसानों ने इस बार अपने खेतों में कलौंजी बोई थी।
सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में कलौंजी की अच्छी पैदावार होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके निर्यात की मांग घटने से इस फसल के दाम धड़ाम से गिर गये हैं। बहरहाल पश्चिमी मध्य प्रदेश में सोयाबीन और प्याज उगाने वाले किसान भी इन दिनों मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उपज के सही दाम नहीं मिलने से दोनों फसलों की खेती से किसानों को घाटा हो रहा है। देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में यह तिलहन फसल केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य :एमएसपी: 2,775 रपये प्रति क्विंटल के नीचे बिक रही है।
मंदसौर-नीमच क्षेत्र में भी किसान बड़ी तादाद में सोयाबीन की खेती करते हैं। नीमच जिले के नयामालाहेड़ा गांव के प्रगतिशील किसान भगतराम पाटीदार ने बताया कि क्षेत्र में इस बार मेथीदाना, धनिया और प्याज उगाने वाले किसानों के लिए भी खेती घाटे का सबब रही है। उन्होंने कहा कि किसान अपने खून-पसीने से फसलें पैदा करता है, लेकिन बाजार में फसलों की कीमत एकाएक गिरने से वो बेबस हो जाता है। किसानों को इस संकट से उबारने के लिए सरकार को फसलों के एमएसपी में उचित इजाफा करना चाहिए और कृषि उत्पादों के निर्यात में उनकी मदद करनी चाहिए।
पाटीदार ने बताया कि मंदसौर-नीमच क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की काफी कमी है जिससे फल-सब्जी उगाने वाले किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में पांच किसानों की मौत के बाद सियासी नेताओं की बढ़ती हलचल से आंदोलनरत किसानोंं का बड़ा वर्ग नाराज है। पाटीदार ने कहा कि ये नेता महज मौके को भुनाकर सियासी फायदा उठाने के लिए हमारे इलाके में आ रहे हैं। ये लोग तब कहां थे जब किसान घाटा खाकर अपनी उपज सस्ते में बेचते हुए खून के आंसू रो रहा था।
इस बीच, मंदसौर के जिलाधिकारी ओपी श्रीवास्तव ने बताया कि स्थिति में सुधार हुआ है और कहीं से किसी अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि एटीएम चालू हैं और दूध तथा सब्जियों की आपूर्ति में सुधार हुआ है लेकिन इंटरनेट सेवा बहाल होने में अभी वक्त लगेगा।
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आखिर भारत में इसे क्यों कहा जाता है ‘उड़ता ताबूत’?