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Hindi News भारत राष्ट्रीय कृषि बिलों पर किसानों में दरार! कुछ समर्थन में मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर से मिले

कृषि बिलों पर किसानों में दरार! कुछ समर्थन में मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर से मिले

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​सिंह तोमर की किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ कृषि भवन में बैठक हुई।

Farmers meeting with agri minister Narendra Singh Tomar कृषि बिलों पर किसानों में दरार! कुछ समर्थन म- India TV Hindi Image Source : ANI कृषि बिलों पर किसानों में दरार! कुछ समर्थन में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर की किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ कृषि भवन में बैठक हुई। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर ने बताया कि कुछ किसान यूनियन के पदाधिकारी उनसे मिले और कृषि बिलों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने की पैरवी की।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर ने कहा, "आज अनेक किसान यूनियन के पदाधिकारी आए और उनकी ये चिंता है कि सरकार बिलों में कोई संशोधन करने जा रही है। उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की दृष्टि से बहुत कारगर हैं, किसानों के लिए फायदे में हैं और बिल में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।"

वहीं, कृषि बिलों का विरोध कर रहे किसानों को बातचीत के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई चिट्ठी पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर ने कहा, "मुझे आशा है कि जल्दी उनका विचार-विमर्श पूरा होगा, वो चर्चा करेंगे और हम समाधान निकालने में सफल होंगे।" हालांकि, सरकार की चिट्ठी पर विरोध कर रहे किसानों ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा, "आज पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई और उसमें ये फैसला किया गया कि केंद्र सरकार की चिट्ठी पर कल की बैठक में फैसला लिया जाएगा।" इसके साथ ही कुलवंत सिंह संधू ने बताया कि हरियाणा के किसान 25-27 दिसंबर को हरियाणा के टोल प्लाजा फ्री करने वाले हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा सितंबर माह में लागू किए गए कृषि कानूनों का बड़ी संख्या में किसान विरोध कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।

उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा। किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और उन्हें रिण उपलब्ध कराने में मददगार कमीशन एजेंट ‘‘आढ़ती’’ भी इस धंधे से बाहर हो जायेंगे।

किसानों की अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है, जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। ये किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद उन्हें बिजली में मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। 

जिन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 हैं।

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