नयी दिल्ली/सोनीपत: विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं। वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनके लिए नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक बड़ा खतरा हैं। किसान सोमवार को पांचवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं और दिल्ली के बुराड़ी मैदान में डटे रहे। इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी किसान उनका साथ देने पहुंचे हैं।
दिल्ली में हर रोज महामारी के मामले बढ़ने के बीच विशेषज्ञों की चिंता किसानों के जमघट के चलते और भी गहरा गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान एवं संक्रामक रोग प्रभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने कहा, ‘‘प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं और जनस्वास्थ्य के नजरिए से मैं सुरक्षात्मक कदमों का ध्यान रखने का आग्रह करता हूं। ऐसा न होने पर यह बीमारी के गंभीर प्रसार का कारक बन सकता है।’’
वहीं, दिल्ली के सभी पांच प्रवेश बिन्दुओं को बंद करने की चेतावनी दे रहे किसानों में से अनेक ने कहा कि वे कोरोना वायरस के प्रसार के बारे में जानते हैं, लेकिन केंद्र के नए कृषि कानून उनके लिए अधिक बड़ा खतरा हैं। पंजाब के फरीदकोट से आए गुरमीत सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन हम इस क्रूर कानून से कैसे बचेंगे जो हमारी रोजी-रोटी छीन लेगा।’’
वहीं, दिल्ली सरकार के सात डॉक्टरों की एक टीम ने बुराड़ी मैदान में 28 नवंबर से अब तक 90 से अधिक किसानों की कोविड-19 संबंधी जांच की है। इस संबंध में एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘‘अब तक कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं पाया गया है।’’ मैदान में कई ई रिक्शा महामारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए घूम रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को कई स्वयंसेवी मास्क बांट रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा कि सरकार को किसानों को आंदोलन की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास महामारी कानून के तहत ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की शक्ति है जिससे संक्रमण फैल सकता है। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा कि नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक हैं।
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