कृषि विधेयक: हरियाणा में किसानों ने सड़क बाधित की, पंजाब में विधेयकों की प्रतियां जलाईं
संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने के विरोध में किसानों ने रविवार को हरियाणा में सड़कें बाधित कीं जबकि पड़ोसी पंजाब में विधेयको की प्रतियां और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया।
चंडीगढ़: संसद में कृषि संबंधित विधेयकों के पारित होने के विरोध में किसानों ने रविवार को हरियाणा में सड़कें बाधित कीं जबकि पड़ोसी पंजाब में विधेयको की प्रतियां और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया। कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर हरियाणा में कई स्थानों पर किसानों ने सड़क और राजमार्गों को अवरूद्ध किया। इनमें से दो विधेयकों को राज्यसभा ने रविवार को पारित कर दिया है।
रिपोर्टों में बताया गया है कि दोपहर तीन बजे के बाद सड़कों पर दिन का प्रदर्शन खत्म करते हुए किसानों ने सड़कों पर अवरूद्ध समाप्त कर दिया। इस प्रदर्शन में बीकेयू को कई अन्य किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया है। हरियाणा के अंबाला में, पुलिस को पंजाब युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जिले में प्रवेश करने और उनकी "ट्रैक्टर रैली" दिल्ली जाने से रोकने के लिए राज्य की सीमा पर पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा।
पुलिस ने बताया कि पंजाब के प्रदर्शनकारियों को जब हरियाणा सीमा पर उनकी रैली को खत्म करने के लिए मजबूर किया गया तो उन्होंने अपने ही ट्रैक्टरों में आग लगा दी। किसानों के प्रदर्शन में हरियाणा में कई स्थानों पर आढ़तिया या कमीशन एजेंट भी शामिल हुए। समूचे राज्य में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था, खासकर वहां, जहां बड़ी भीड़ के जुटने की आशंका थी। पुलिस ने यातायात को वैकल्पिक मार्गों के जरिए भेजा। कई प्रदर्शन स्थलों पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट पुलिस के साथ मौजूद थे।
हरियाणा में नारायणगढ़ के पास अंबाला-नाहन राष्ट्रीय राजमार्ग, जींद-पटियाला और जुलाना के पास जींद-दिल्ली मार्ग पर और सोनीपत-गोहाना राजमार्ग समेत पर कई सड़कों को अवरूद्ध किया। पंजाब युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण अंबाला-चंडीगढ़ राजमार्ग पर भी यातायात बाधित रहा, लेकिन दिल्ली अंबाला मार्ग अवरूद्ध नहीं था। राजमार्ग पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के दिल्ली की तरफ बढ़ने पर अड़ रहने के कारण हरियाणा-पंजाब सीमा पर कुछ समय के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मगर पुलिस ने बड़ी संख्या में बेरिकेड लगाए हुए थे और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।
पंजाब के कई स्थानों पर किसानों ने पुतले और विधेयकों की प्रतियां जलाईं और दावा किया कि नए कानून उनकी जीविका को खत्म कर देंगे। इन तीन विधेयकों का उद्देश्य किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प देना है, लेकिन कई संगठनों को आशंका है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देंगे। हरियाणा में कांग्रेस के विधायक वरूण चौधरी ने कहा कि ये विधेयक किसानों के लिए नहीं, बल्कि जमाखोरों के लिए ढाल है। वह अंबाला में पंजोखरा के पास प्रदर्शन में शामिल हुए। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने दावा किया कि इन विधेयकों से कॉरपोरेट को फायदा होगा। उन्होंने रोहतक और चरखी दादरी जिलों में प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा, “ दो अक्टूबर से, इन किसान विरोधी कदमों के खिलाफ मैं अनशन पर बैठूंगा। “ यमुनानगर में हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह ने कहा, “ यह इस देश का दुर्भाग्य है कि किसानों के प्रदर्शन के बावजूद ये विधेयक पारित हो गए। “ उन्होंने कहा कि यह “लोकतंत्र की हत्या “ है। गुरनाम सिंह ने कहा, “ कानून लोगों के लिए होते हैं और अगर वे इनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो किस के फायदे के लिए उन्हें(विधेयको को) पारित किया गया है? ” उन्होंने कहा, ” यह कानून किसान समर्थक नहीं हैं जैसा सरकार का दावा है, बल्कि इससे बड़े कॉरपोरेट को फायदा होगा।”
उन्होंने कहा कि राज्यव्यापी प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और 17 किसान संगठनों ने इसे अपना समर्थन दिया। पंजाब कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि अकाली दल और भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियां किसानों के साथ खड़ी हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को निशाने पर लेते हुए उनपर पर पहले इन "काले कानूनों" का समर्थन करने का आरोप लगाया। जाखड़ ने कहा, "किसानों का गुस्सा देखकर बादल को कृषि विधेयकों के मुद्दे पर अपना रुख बदलना पड़ा। किसानों ने उनका अहंकार तोड़ दिया।"
कृषि विधेयकों के विरोध में पंजाब युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हवा में काले गुब्बारे भी छोड़े। ट्रैक्टर रैली में शामिल होते हुए भारतीय युवा कांग्रेस के प्रमुख श्रीनिवास बी वी ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाए खड़ी है। उन्होंने कहा, “ यह सरकार 80 करोड़ परिवारों को तबाह करना चाहती है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था, लेकिन मौजूदा सरकार के तहत किसानों को बर्बाद किया जा रहा है।
“हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा ने कहा कि जब कांग्रेस नीत सरकार सत्ता में आएगी तो कानून को निरस्त किया जाएगा। पार्टी हरियाणा के सभी जिला मुख्यालयों पर “किसान विरोधी“ विधेयकों के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन करेगी। विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच राज्यसभा ने रविवार को दो प्रमुख कृषि विधेयकों को पारित कर दिया। उच्च सदन ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी।