नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर किसानों का आंदोलन केंद्र के खिलाफ एक ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करने के बाद सोमवार शाम को समाप्त हो जाएगा और इसे बढ़ाने के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं मांगी गई है। यह जानकारी भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के एक पदाधिकारी ने दी। उन्होंने कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ नौ महीने पहले शुरू हुआ किसान आंदोलन हालांकि दिल्ली की सीमाओं पर जारी रहेगा। किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जंतर-मंतर पर आहूत ‘किसान संसद’ में तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार के इस्तीफे की भी मांग की जाएगी।
भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘किसान संगठन भाजपा नीत सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए अपनी ‘किसान संसद’ में सरकार के खिलाफ एक ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करेंगे। इस सरकार पर किसानों सहित लोगों का अब और विश्वास नहीं रह गया है तथा इसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।’’
दिल्ली पुलिस ने किसानों को जंतर-मंतर पर 22 जुलाई से नौ अगस्त तक अधिकतम 200 लोगों के साथ प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यहां जंतर-मंतर पर आज किसानों के प्रदर्शन का अंतिम दिन है। दी गई अनुमति के अनुसार, उन्होंने इन सभी दिनों में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया और वे आज (सोमवार) शाम अपने प्रदर्शन के बाद जंतर-मंतर से चले जाएंगे।’’
मलिक ने 1942 में हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वर्षों पहले, आज (नौ अगस्त) के दिन भारतीयों ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने को कहा था, आज हम भाजपा से सत्ता छोड़ने को कह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को और बढ़ाने के लिए कोई अनुमति नहीं मांग रहे हैं क्योंकि सरकार को कोई परवाह नहीं है। हम इसके खिलाफ ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करेंगे और दिल्ली की सीमाओं पर लौट जाएंगे, जहां मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।’’
विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर सैकड़ों किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार किसान नेताओं के साथ 11 दौर की औपचारिक वार्ता कर चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
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