किसानों का 'गांव बंद' आंदोलन आज शुरू, 10 दिन की हड़ताल पर किसान, शहरों में सब्जी, फल, दूध की आपूर्ति रोकी
किसानों ने इस आंदोलन का नाम दिया है 'गांव बंद' आंदोलन। वैसे तो इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है लेकिन कहा जा रहा है कि देश भर के 22 राज्यों के किसान इससे जुड़ते चले जाएंगे। दावा है कि देश भर के सौ किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल होंगे।
नई दिल्ली: एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं और सरकार परेशान है लेकिन इस बार इस आंदोलन का असर आम लोगों पर भी पड़ने वाला है। देश का अन्नदाता एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों ने आज से अगले दस दिन तक गांव बंद आंदोलन का ऐलान किया है। यानी 10 जून तक किसान हड़ताल पर हैं। मध्यप्रदेश से लेकर पंजाब और महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक किसानों ने शहर में गांव का सामान ना भेजने का फैसला लिया है। इसका असर कुछ राज्यों में साफ दिख रहा है।किसान जगह जगह सड़कों पर दूध बहा रहे हैं। सब्जियां फेंक रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा में किसानों ने सब्जियों, फलों और दूध की बिक्री बंद की
पंजाब और हरियाणा में भी आज किसानों ने शहरों को सब्जियों , फलों , दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति रोक दी। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया , ‘‘ हमें इस आंदोल में किसान बंधुओं से बहुत अच्छा समर्थन मिल रहा है। राज्य (पंजाब) में ज्यादातर स्थानों पर किसानों ने शहरों में बिक्री के लिए सब्जियां , दूध और अन्य खाद्य पदार्थों को लाना बंद कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी किसान को अपनी उपज लाने से नहीं रोका गया है। किसान केंद्र सरकार से इतना नाराज है कि वे अपने मन से ही इस आंदोलन का हिस्सा बन गये। ’’एक जून से दस जून तक आपूर्ति बंद करने का फैसला किसानों ने किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले किया है। राजेवाल ने दावा किया कि केवल पंजाब और हरियाणा में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश , राजस्थान , मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भी किसान अपनी उपज शहरों में नहीं बेच रहे हैं। बीकेयू के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंदूनी ने कहा , ‘‘ हरियाणा में भी किसान हमारा समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने सब्जियों , दूध आदि की आपूर्ति बंद कर दी है। ’
आंदोलन में किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि गांव का सामान शहर नहीं जाएगा। मतलब अगले 10 दिन तक जब तक ये आंदोलन चलेगा गांव से ना दूध, ना सब्जियां, ना फल, कुछ भी मंडियों तक नहीं पहुंचेगा। इसका असर आप समझ सकते हैं क्या होगा। इस आंदोलन को लेकर पुलिस भी अलर्ट पर है क्योंकि पिछेली बार जो मध्य प्रदेश में हुआ था, वो बहुत डराने वाला था। आंदोलन की आड़ में इस बार अगर किसी ने हिंसा को हथियार बनाने की कोशिश की तो पुलिस उनके लिए पहले से तैयार बैठी है।
22 राज्यों के किसान इस आंदोलन से जुड़ते चले जाएंगे
किसानों ने इस आंदोलन का नाम दिया है 'गांव बंद' आंदोलन। वैसे तो इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है लेकिन कहा जा रहा है कि देश भर के 22 राज्यों के किसान इससे जुड़ते चले जाएंगे। दावा है कि देश भर के सौ किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल होंगे। एक साल पहले जब मध्य प्रदेश में किसानों का आंदोलन हुआ था तो सबने देखा था कैसे पुलिस बेचारी बन कर रह गई थी इसलिए इस बार लाठी डंडे और फायरिंग सबकी ट्रेनिंग दी गई है। फिर वो पुरुष पुलिसकर्मी हों या फिर महिला पुलिसकर्मी, सबको उपद्रवियों से निपटने के लिए पूरी तरह ट्रेंड किया गया है।
सरकार उनसे निपटने के उपाय के साथ तैयार
मतलब सरकार पहले कोशिश करती रही कि किसान मान जाए और अब जब वो आंदोलन पर उतारू हैं तो सरकार उनसे निपटने के उपाय के साथ भी तैयार है। मध्य प्रदेश में हाई अलर्ट इसलिए है क्योंकि किसानों की जो चेतावनी है वो सीधे-सीधे प्रदेश सरकार के लिए परेशानी की बात है। 1 जून यानी आज से फल, दूध, सब्जी गांवों से शहरों की ओर नहीं आएगा। वहीं 6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर मृतक किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। किसान 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाएंगे और 10 जून को दोपहर 2 बजे तक पूरा भारत बंद कराएंगे।
गांव से शुरू होकर ये आंदोलन शहरों की ओर जाएगा
मतलब किसानों का ये आंदोलन गांव से शुरू होकर शहरों की ओर जाएगा। किसी भी वक्त, कहीं भी बवाल की पूरी आशंका है क्योंकि पिछले कुछ आंदोलन की डरावनी तस्वीर सबने देखी है इसलिए प्रशासन को जब से खबर मिली है कि फिर से 1 जून को हर शहर में हजारों किसानों की भीड़ जुटने वाली है तो उसके हाथ-पांव फूल गये हैं। किसान अपने कर्ज को माफ करने की मांग कर रहे हैं, साथ ही वह लागत से 50 फीसदी अधिक मूल्य दिए जाने की मांग कर रहे हैं। कुछ जगहों पर किसानों और दुग्ध विक्रेताओं ने पहले ही इस हड़ताल से खुद को अलग कर लिया है।
क्या है किसानों की मांग?
किसानों की पहली मांग-वादों के मुताबिक किसानों का लोन माफ किया जाए
किसानों की दूसरी मांग-सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए
किसानों की तीसरी मांग-फल, सब्जी, दूध के दाम भी लागत के आधार पर तय किए जाएं
किसानों की चौथी मांग-किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामले खत्म किये जाएं
इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए गांवों में सभाएं भी की गई थीं। इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें। एक किसान की मौत होती है तो सब रोने लगते हैं। सरकार अलग रोती है, विपक्ष अलग रोता है लेकिन क्या इन आंसुओं का कोई अर्थ होता है। अगर होता तो किसानों को एक बार फिर से आंदोलन करने की आज जरुरत नहीं होती।