सिंघु बॉर्डर: कृषि कानून पर किसानों का 59वें दिन भी प्रदर्शन जारी है वहीं आज केंद्र सरकार के साथ हुई किसानों की बैठक में फिर से गतिरोध पैदा हुआ। उधर 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है, जिसपर किसानों और पुलिस के बीच भी गतिरोध बना हुआ है। किसानों की तरफ से ट्रैक्टर मार्च पर हुई दिल्ली पुलिस के साथ वार्ता को लेकर एक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि, "पुलिस अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में पुलिस द्वारा एक रोडमैप किसान नेताओं के सामने रखा गया है, जिसपर किसान विचार करेंगे और कल यानी रविवार को जवाब देने की बात कही गई है।"
दरअसल दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों को दिल्ली के बाहर रैली करने का प्रस्ताव रखा गया है, लेकिन किसान संगठनों द्वारा साफ किया गया है कि ये ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ही होगा। वहीं इस मार्च को लेकर अब तक किसान संगठन अपनी मांग पर कायम हैं। दूसरी ओर सरकार ने 18 महीनों तक इन कानूनों पर रोक लगाने के प्रस्ताव किसानों के सामने रखा है, जिसपर सरकार आज बैठक में अडिग रही, वहीं किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे।
हालांकि गुरुवार को हुई दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। गुरुवार को पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को मनाने का प्रयास किया गया। वहीं कहा गया कि वे ट्रैक्टर रैली बाहरी रिंग रोड की बजाय कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेस पर निकालें। लेकिन किसान संगठन रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालने की बात पर कायम रहे। गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर देशभर से लाखों किसानों ने आना शुरू कर दिया है।
इस बीच नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच सरकार और किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के उद्धार के प्रति प्रतिबद्ध है। कुछ लोगों को हर अच्छे काम का विरोध करने की आदत होती है। किसानों के कंधे का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया गया। किसानों के साथ बातचीत बेनतीजा रही इसका दुख है। सरकार ने हमेशा किसानों के सम्मान में बात सोची। किसानों ने हमेशा कानून वापसी की मांग की जबकि हमने कानून में संशोधन की बात रखी। डेढ़ साल तक नए कृषि कानूनों को रोकना बेहतर प्रस्ताव है।
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