मप्र में किसान आंदोलन शुक्रवार से, गांवों से नहीं आएंगी सब्जियां और दूध
किसानों के एक जून से होने वाले आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज पत्रकारों के सवालों पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए...
भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले साल छह जून को मंदसौर जिले में किसानों पर पुलिस जवानों द्वारा की गई फायरिंग और पिटाई में मारे गए सात लोगों की मौत के एक वर्ष पूरा होने पर किसानों ने शुक्रवार से 10 जून तक 'गांव बंद' आंदोलन का ऐलान किया है। इसके तहत किसी गांव से कोई भी खाद्य सामग्री शहरों में नहीं जाएगी। सरकार ने हालात से निपटने के इंतजाम किए हैं। आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने आईएएनएस को बताया कि राज्य के 150 से ज्यादा किसान संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है, साथ ही प्रदेश की सभी 53 हजार पंचायतों ने किसान हित की लड़ाई जारी रखने पर हामी भरी है।
उन्होंने कहा, "सरकार किसानों को अपना हक मांगने पर गोली मारती है और डंडे बरसाती है। छह जून किसानों के लिए काला दिन है। इस घटना के एक साल पूरा होने पर हम बरसी मना रहे हैं। अब 10 दिन तक किसी गांव से न तो कोई सामान शहर आएगा और न ही जाएगा।" उधर, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भोपाल पहुंचे, उन्होंने किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस का आंदोलन बताया। उनका कहना है कि राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के हित में काम कर रही है और उसने कई बड़े फैसले लिए हैं।
वहीं भाजपा के सांसद प्रभात झा ने आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा होने के लिए कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि यह बड़े आश्चर्य व शर्म की बात है कि जिन लोगों की सरकार में पिछले साल मंदसौर में अपने हक की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे बेगुनाह किसानों के सीने पर गोलियां दागी गईं, उनका खून बहाया गया, वे आज कांग्रेस पर खून-खराबा कराने की बात कर रहे हैं। वे लोग ही प्रतिदिन ऐसी बयानबाजियां कर अराजकता फैला रहे हैं और माहौल खराब कर रहे हैं।
किसानों के एक जून से होने वाले आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज पत्रकारों के सवालों पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए। वहीं पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। कई किसान नेताओं से बॉण्ड भरा लिए गए हैं। साथ ही उन पर खास नजर रखी जा रही है।