फरीदाबाद: अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस मुहैया न कराए जाने पर एक व्यक्ति अपनी नौ वर्षीय पोती का शव कंधे पर ले जाने को मजबूर हो गया। लड़की की सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस प्रवक्ता के अनुसार बुखार से पीड़ित लक्ष्मी का दादा आज सुबह उसे बादशाह खान अस्पताल लाया था जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया और उसकी मौत हो गई। मौत के बाद शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई, जिसके बाद वह उसका शव कंधों पर ले जाने लगा। कुछ स्थानीय पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद एक निजी एम्बुलेंस मुहैया कराई गई। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत
ये पहला मौका नहीं है जब ऐसा हुआ है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कथित रूप से सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से मृतक के परिजन शव को रिक्शे पर लादकर ले गये। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सूत्रों ने बताया कि रामआसरे (44) नामक व्यक्ति का शव रेल की पटरी से बरामद हुआ था। उसके परिजन शव को पोस्टमार्टम के लिए रिक्शे पर लाद कर ले गए थे।
यूपी के ही मिर्जापुर में 28 जून (2017) को एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक भाई अपनी शादीशुदा बहन को कंधे पर रखकर अस्पताल के जाना पड़ा था, लेकिन रास्ते में बहन की मौत हो गई। बाद में परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने एम्बुलेंस की मांग की थी, लेकिन वह एक घंटे तक नहीं पहुंची। बहन को तड़पता देख भाई उसे कंधे पर उठाकर जिला अस्पताल के लिए निकल पड़ा। वह करीब 200 मीटर ही गया था कि बहन ने उसके कंधे पर ही दम तोड़ दिया।
इससे पहले यूपी के कौशांबी में 12 जून को ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी का शव कंधे पर लादकर हॉस्पिटल से 10 किलोमीटर दूर साइकिल से घर ले जाना पड़ा था। इस मामले में पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि सरकारी अस्पताल ने एंबुलेंस के लिए उनसे 800 रुपए की मांग की थी।
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