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Hindi News भारत राष्ट्रीय कोविड-19: जनता कर्फ्यू के कारण तेरहवीं जैसी महत्वपूर्ण रस्म की कैंसिल

कोविड-19: जनता कर्फ्यू के कारण तेरहवीं जैसी महत्वपूर्ण रस्म की कैंसिल

जनता कर्फ्यू के कारण राष्ट्रीय राजधानी में एक परिवार ने अपने कुनबे (खानदान) के सबसे बुजुर्ग मुखिया की असमय मौत के बाद होने वाली 'तेरहवीं' जैसी महत्वपूर्ण रस्म रद्द कर दी है।

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'जनता कर्फ्यू' लागू कराने के लिए देशवासियों से आग्रह किया है। मोदी के इस आग्रह पर राष्ट्रीय राजधानी में एक परिवार ने अपने कुनबे (खानदान) के सबसे बुजुर्ग मुखिया की असमय मौत के बाद होने वाली 'तेरहवीं' जैसी महत्वपूर्ण रस्म रद्द कर दी है।

शकूरबस्ती की रेलवे कॉलोनी में रहने वाले 85 वर्षीय बुजुर्ग डी. एस. सिंह की 11 मार्च, 2020 को सुबह दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। सिंह कई दिनों से कनॉट प्लेस के पास स्थित उत्तर रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय में भर्ती थे।

उत्तर रेलवे में कार्यरत डी. एस. सिंह के बेटे नरेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार को कहा, "22 मार्च, 2020 रविवार को पिता की तेरहवीं की तारीख हिंदू विधि-विधान से तय हुई थी। इसी बीच कोरोना का कहर टूट पड़ा। जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार (22 मार्च, 2020) को 'जनता-कर्फ्यू' वाली अपील राष्ट्र के सामने आई, तब तक हम सभी परिचितों व रिश्तेदारों को तेरहवीं कार्यक्रम की सूचना सोशल मीडिया, फोन व अन्य माध्यमों से भेज चुके थे।"

सिंह की सबसे छोटी बेटी मंजू के पति रणबीर सिंह (गार्ड, उत्तर रेलवे) ने फोन पर बताया, "परिवार वालों ने घर-कुनबे के बुजुर्गों और दिवंगत डी. एस. सिंह की पत्नी प्रभा देवी आदि के साथ काफी विचार-विमर्श किया। इसके बाद तय किया कि तेरहवीं की रस्म रद्द कर दी जाए। क्योंकि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। यह सिर्फ हमारे आपके निजी हित का मुद्दा नहीं, बल्कि समुदाय समाज के भी हित और सहयोग की बात है। लिहाजा जिन माध्यमों से हमने तेरहवीं सभा की सूचना दी थी, उसी तरह से 'जनता कर्फ्यू' का हवाला देकर इस कार्यक्रम को रद्द करने की सूचना भिजवा दी।"

नरेंद्र ने बताया, "पिता उत्तर रेलवे में ही ट्रेन गार्ड थे। 1990 के दशक में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। परिवार मूलत: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला है। पिता अब से करीब 60 साल पहले दिल्ली आ गए थे और तब से परिवार शकूरबस्ती रेलवे कॉलोनी में ही रह रहा है।"

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