श्रीनगर: श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में स्थित परिमपोरा में पिछले सप्ताह सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीन कथित आतंकवादियों के परिवारों ने सोमवार को उनके शव वापस करने और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। सुरक्षा बलों के अनुसार, 31 दिसंबर को मुठभेड़ में एजाज मकबूल गनई, जुबैर अहमद लोन और अतहर मुश्ताक वानी मारे गए थे। पुलिस ने कहा कि वे उसके रिकॉर्ड में आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध नहीं थे लेकिन उनमें से दो कट्टरपंथी विचार के थे। मुठभेड़ में मारे गए युवाओं के रिश्तेदारों ने यहां रेजीडेंसी रोड पर विरोध प्रदर्शन किया।
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प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था कि ‘हम न्याय चाहते हैं’ और ‘निर्दोषों को मारना बंद करो।’ उन्होंने मांग की कि उनके शव उन्हें सौंप दिए जाएं ताकि वे उनका अंतिम संस्कार कर सकें। परिवारों ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की भी मांग की। उनका आरोप है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।
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पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यधारा के उन कई नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने शवों को उनके परिवारों को देने की मांग की है। उमर ने कहा कि श्रीनगर मुठभेड़ की जांच जल्द पूरी होनी चाहिए, क्योंकि मारे गए तीन लोगों के परिवारों का दावा है कि उनके बेटे निर्दोष हैं। उमर ने ट्विटर पर लिखा कि केवल निष्पक्ष और पारदर्शी जांच से मारे गए लोगों के परिवारों को संतुष्ट किया जा सकता है।
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उमर ने ट्वीट किया, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस मुठभेड़ की जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए। एलजी मनोज सिन्हा द्वारा पहले ही वादा किए गए एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच से ही उन परिवारों को संतुष्ट किया जा सकता है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया था और वे निर्दोष थे।"
"एलजी ने इस मुठभेड़ में निष्पक्ष और त्वरित जांच का वादा किया है। नेशनल कांफ्रेंस के लोकसभा सदस्य हसनैन मसूदी ने उनसे हाल ही में इस सिलसिले में उनसे बात की थी। हमें उम्मीद है कि एलजी शव उनके परिवारों को सौंपने का आदेश भी देंगे।"
30 दिसंबर को श्रीनगर के लवेपोरा में हुई एक मुठभेड़ में पुलवामा के एजाज गनाई, शोपियां के जुबैर लोन और पुलवामा के ही अतहर मुश्ताक मारे गए थे। सेना ने कहा कि उन्हें बार-बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया गया, जो उन्होंने नहीं किया और इसके बजाय सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की और ग्रेनेड फेंके। मारे गए लोगों के परिवार वालों ने सुरक्षा बलों के दावे का खंडन किया है और कहा कि उनके बच्चे आतंकवादी नहीं हैं।
पुलिस ने कहा कि हालांकि मुठभेड़ में मारे गए तीनों के नाम आतंकवादियों की सूची में नहीं थे, फिर भी उनमें से दो आतंकवादियों के सहयोगी थे। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी अपनी मांग दोहराई है कि मुठभेड़ में मारे गए तीनों के शव उनके परिजनों को सौंपे जाएं, और मामले की निष्पक्ष जांच हो।
महबूबा ने कहा, "लोग कह रहे हैं कि वो मारे गए तीन लोगों के शव चाहते हैं, एक मां अपने खोए हुए बेटे का चेहरा आखिरी बार क्यों नहीं देख सकती, यह अन्याय है, आप कश्मीरियों का दिल कैसे जीत सकते हैं?"
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