राजस्थान: सिर्फ कागजों पर चल रहे थे ITI संस्थान, जमीन पर जाकर देखा तो कुछ नहीं मिला
राजस्थान में लंबे समय से चल रहे फर्जी आईटीआई संस्थानों का खुलासा हुआ है। प्रदेश में कई ऐसे आईटीआई संस्थान हैं, जो सरकारी कागजों में तो दौड़ रहे हैं लेकिन धरातल पर हैं ही नहीं।
जयपुर: राजस्थान में लंबे समय से चल रहे फर्जी आईटीआई संस्थानों का खुलासा हुआ है। प्रदेश में कई ऐसे आईटीआई संस्थान हैं, जो सरकारी कागजों में तो दौड़ रहे हैं लेकिन धरातल पर हैं ही नहीं। ऐसे कई संस्थानों पर इंडिया टीवी ने जाकर पड़ताल की तो पता चला कि ये आईटीआई संस्थान सरकारी कागजों में मौजूद थे और इनमें आने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जा रही थी। लेकिन, असल में जिन पतों पर आईटीआई संस्थानों का सरकारी कागजों में जिक्र किया गया है वह वहां हैं ही नहीं। उन पतों पर तो कोई और कंपनी चल रही है या फिर प्राइवेट स्कूल चलाये जा रहे हैं।
इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए श्रम आयुक्त शमित शर्मा ने बताया कि उनकी निगरानी में टीम बनाई गयी है और आईटीआई संस्थानों की हकीकत देखने के लिए सभी जगह निरीक्षण किया गया है। 1900 से अधिक आईटीआई संस्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई है, जिसमें से 250 संस्थान फर्ज पाए गए या फिर भारी अनियमितताएं मिलीं। श्रम विभाग की छापेमारी के साथ इंडिया टीवी ने भी पड़ताल की तो मौके पर कई आईटीआई संस्थान मिले ही नहीं।
कई ऐसे संस्थान मिले जिनके नाम पर स्कूल या फिर अन्य गतिविधियां चलाई जा रही हैं। विभाग ने दस दिन में कॉलेजों से पक्ष रखने को शपथ पत्र मांगे हैं। सतुष्ट नहीं होने पर सरकार इन कॉलोजों की नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग से सम्बद्दता समाप्त करने के लिए सिफारिश करेगी
कहां, कितने आईटीआई संस्थान हैं और कितने फर्ज हैं?- जयपुर- 794 सरकारी और प्राइवेट आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें से 59 फर्जी पाए गए।
- जोधपुर- 137 आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें 8 फर्जी मिले।
- कोटा- 230 आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें 66 फर्ज निकले।
- बीकानेर- 168 आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें 17 फर्जी मिले।
- अजमेर- 255 आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें 35 फर्जी पाए गए।
- भरतपुर- 225 आईटीआई संस्थान हैं, जिनमें से अभी तक 10 फर्जी मिले हैं।
ये आंकड़े अभी और भी बढेंगे क्योंकि जांच अभी जारी है। इतनी बड़ी संख्या में आईटीआई संस्थानो में गड़बड़झाले के खुलासे के बाद सरकार भी सकते में आ गयी है। श्रम आयुक्त शमित शर्मा का कहना है कि संस्थानों में इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है तो छात्रवृत्ति में इससे भी बड़ा घोटाला होगा, क्योंकि कई सालों से ये संस्थान कागजों में अनुसूचित जाति-जनजाति के बच्चों के दाखिलों को दिखाते रहे हैं।
शमित शर्मा ने कहा कि प्रत्येक अनुसूचित जाति-जनजाती के बच्चे को छात्रवृत्ति के रुप मे 15,000 रुपये मिलते हैं। कागजों मे चलने वाले ऐसे फर्जी आईटीआई संस्थानों ने सरकार को करोड़ों का चूना लगाया होगा। हालांकि, इन सभी फर्जीवाड़ों का परत दर परत खुलासा होगा।