Coronavirus पर विशेषज्ञों ने कहा- भारत से खतरा अभी टला नहीं है, जांच में तेजी लाने की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘‘लॉकडाउन और सामाजिक मेलजोल से दूरी बनाकर रखने के हमारे प्रयासों के कारण मामले आ जरूर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या में तेजी से वृद्धि नहीं हो रही है।’’
नई दिल्ली. Lockdown की अवधि समाप्त होने में अब कुछ दिन बचे हैं, ऐसे में सोमवार को स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने राय दी है कि 21 दिन लंबे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के वास्तविक प्रभाव को जानने के लिए कोरोना वायरस संक्रमण की जांच में तेजी लाने की जरुरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की गति कम हुई है, लेकिन उनका कहना है कि देश में अभी संक्रमित लोगों की संख्या स्थिर नहीं हुई है और इस संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को तत्काल बेहतर बनाने की जरुरत है।
महामारी से निपटने में भारत के नीति निर्माण में जुड़े सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कुल मिलाकर भारत में अपनायी गई सामाजिक मेलजोल से दूरी बनाकर रखने की नीति वायरस संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने में मददगार साबित हुई है, जबकि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी तीन लाख से ऊपर मामले आ चुके हैं। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए भारत में 24 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिन लंबा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘‘लॉकडाउन और सामाजिक मेलजोल से दूरी बनाकर रखने के हमारे प्रयासों के कारण मामले आ जरूर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या में तेजी से वृद्धि नहीं हो रही है।’’ लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर से खतरा अभी टला नहीं है और मामले की सम्पूर्णता का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जांच करने की जरुरत है। सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) के निदेशक और फेलो रमणन लक्ष्मीनारायण ने कहा, ‘‘अगर हम चाहते हैं कि लॉकडाउन कारगर हो तो हमें तेजी से जांच करने होंगे।’’
सर गंगा राम अस्पताल में फेफड़ों के अनुभवी सर्जन अरविंद कुमार का कहना है कि भारत कोरोना वायरस संक्रमण प्रसार के तीसरे चरण में है जिसमें संक्रमण समुदाय के स्तर पर फैलता है। उनका कहना है, ‘‘अब हम तीसरे चरण में हैं। तीसरा चरण बहुत बड़ा है, सिर्फ सैकड़ों हजारों लोगों का संक्रमित होना ही समुदाय के स्तर पर संक्रमण नहीं है। कई ऐसे लोगों के संक्रमित होने के मामले भी आए हैं जिन्होंने ना तो देश/विदेश यात्रा की है और नाहीं किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं।’’
संक्रमित लोगों की संख्या के संदर्भ में भारत की तुलना अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों से करने के संबंध में सवाल करने पर कुमार ने कहा कि यह सही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि तुलना हो सकती है। भारत में मामले और मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। अभी हमारे यहां संख्या बढ़ रही है, वह भी लॉकडाउन के दौरान। हमें सतर्क रहना होगा।’’ कुमार ने प्रतिबंधों/लॉकडाउन को पूरी तरह हटाने को लेकर भी चिंता जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘मामले अभी बढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर लॉकडाउन हटता है तो संक्रमित लोगों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन तभी हटना चाहिए जब संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आनी शुरू हो जाए, जोकि अभी नहीं हो रहा है।’’ डॉक्टर डांग लैब के संस्थापक निदेशक डॉक्टर नवीन डांग का कहना है कि अगर जांच में तेजी नहीं लायी गयी तो लॉकडाउन का पूरा उद्देश्य ही बर्बाद हो जाएगा। वहीं, आईसीएमआर ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए स्वाब की जगह रक्त के नमूनों का इस्तेमाल करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह जांच जल्दी हो जाता है और इसके नतीजे आधे घंटे के भीतर आ जाते हैं। इससे जांच में तेजी आएगी।