नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार के लिए कोई बड़ा या महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की संभावना नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने किसी भी प्रकार के सकारात्मक बदलाव से पूरी तरह इंकार भी नहीं किया। पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की वकालत करते हुए पाकिस्तान के प्रधनमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने कहा था कि भारत में आम चुनाव होने तक वह नई दिल्ली की प्रतिक्रिया का इंतजर करेंगे। लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में होने हैं।
इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के संबंध में सवाल करने पर सूत्रों ने कहा कि भारत अभी वहां कर्मचारियों की संख्या कम करने पर विचार नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत की ओर से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद पाकिस्तान ने अभी तक इस्लामाबाद में मिशन के निए नव-निर्मित आवासीय भवनों को गैस का कनेक्शन नहीं दिया है। सूत्र ने बताया, ‘हमारे राजनयिकों को हर मोड़ पर प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। इस्लामाबाद में हमारे उच्चायोग का भवन और परियोजनाएं 10 साल से रुकी हुई हैं। हमने बिना गैस आपूर्ति के लोगों को उच्चायोग के भवन में रहने को बोल दिया है।’
उन्होंने बताया कि नए भवनों के लिए फर्नीचर सीमा पर रुके हुए हैं और पाकिस्तान ने टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिए हैं। इस साल की शुरुआत में इस्लामाबाद स्थित भारतीय मिशन के अधिकारियों की प्रताड़नाओं के संबंध में सूत्र ने संकेत दिया कि भारत ने जैसे-को-तैसा का व्यवहार किया है। सूत्र ने कहा, ‘इसके परिणामस्वरूप वह तुरंत पीछे हट गए।’ इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब देश में भारतीय राजनयिकों को कथित रूप से प्रताड़ित करने पर सवाल किया गया तो विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानूनों और कूटनीतिक नियमों के अनुरूप ही भारतीय उच्चायोग को काम करने दे रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस संबंध में विएना कन्वेंशन का पालन कर रहा है।
करतारपुर गलियारे के संबंध में सवाल करने पर सूत्रों ने कहा कि यह सांस्कृतिक कदम है, कोई कूटनीतिक या राजनीतिक कदम नहीं है। सूत्रों ने कहा कि करतारपुर गलियारा खोलने का मतलब यह नहीं है कि भारत बड़े मुद्दों पर पाकिस्तान से बातचीत करेगा। (भाषा)
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