नई दिल्ली: औरंगाबाद में रेल की पटरी पर सो रहे जिन 16 गरीब मजदूरों के ऊपर से ट्रेन गुजर वो सभी महाराष्ट्र के जालना से निकले थे और चूंकि हाईवे पर पुलिस की गश्त थी इसलिए वे रेल पटरी के सहारे जा रहे थे। जानकारी के मुताबिक ये सारे मजदूर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। कुल 21 मजदूरों का समूह घर जाने के लिए निकला था। 16 की मौत हो गई जबकि पांच मजदूर इस दर्दनाक हादसे में बच गए।
ये सभी मजदूर जालना की स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। बताया गया कि ये लोग कई दिनों से ट्रेन के टिकट का इंतजाम होने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने सोचा कि औरंगाबाद पहुंचकर हो सकता है कोई साधन मिल जाए। चूंकि सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे......9 लोग शहडोल....6 लोग उमरिया और 1 मजदूर कटनी का रहने वाला था....चूंकि सब एकदूसरे के परिचित थे इसलिए ग्रुप में औरंगाबाद के लिए निकले।
चूंकि सड़कों पर नाके लगे हैं और पुलिस तैनात है इसलिए ये लोग रेल की पटरी के किनारे-किनारे निकले। जालना से औरंगाबाद की दूरी 59 किलोमीटर है। ये लोग रात में पैदल चले और करमाड के पास तक पहुंच गए। करीब 38 किलोमीटर पैदल चले और करमाड से पहले थक तक पटरी पर बैठ गए। चूंकि थके थे इसलिए नींद लग गई....और सुबह साढ़े पांच बजे के आसपास सिकंदराबाद से आ रही मालगाड़ी इन मजदूरों के ऊपर से निकल गई।
सुबह अंधेरा था और मालगाड़ी स्पीड में थी। ड्राइवर को ट्रैक पर कुछ होने का अंदाजा लगा और उसने हॉर्न बजाया। लेकिन थके हुए मजदूर गहरी नींद में थे। किसी ने हॉर्न की आवाज नहीं सुनी। लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी। मालगाड़ी के पहिए जब तक रूके तब तक तो सोलह मजदूरों के चीथड़े उड़ चुके थे। उनकी जिंदगी का सफर हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो चुका था। मजदूरों के इस ग्रुप में कुल 21 लोग थे। इनमें से सोलह लोग थोड़ी-थोड़ी दूर पर पटरी के बीच ही लेटे थे जबकि पांच मजदूर पटरी से दूर लेटे। जो लोग पटरी से दूर लेटे थे वो लोग इस हादसे में बच गए।
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