Exclusive: जानें, क्या कहते हैं आतंकियों द्वारा अगवा किए गए और फिर छोड़े गए J&K पुलिसकर्मियों के परिजन
जम्मू और कश्मीर में पंचायत चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ ही गड़बड़ी पैदा करने वाले तत्व सक्रिय हो गए हैं।
नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में पंचायत चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ ही गड़बड़ी पैदा करने वाले तत्व सक्रिय हो गए हैं। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पहले ही आगाह किया है कि कुछ ताकतें चुनावों में व्यवधान पैदा करने की हरसंभव कोशिश करेंगी, क्योंकि एक बार स्थानीय निकाय का चुनाव होने के बाद ग्रामीण इलाकों के विकार का रास्ता साफ हो जाएगा। राज्य की अतिवादी ताकतें जम्मू और कश्मीर पुलिस के हौसले को तोड़ने के लिए अपने काम पर लग गई हैं। हिंसक अलगाववादियों ने पुलिसकर्मियों के परिजनों को अगवा करना शुरू कर दिया है।
तीन दिन पहले हिज्बुल के ऑपरेटर्स, रियाज नायकू और नवेद जट्ट ने पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां और कुलगाम से पुलिसकर्मियों के परिजनों का अपहरण किया। उन्होंने पुलिस को धमकी दी कि यदि उन्होंने घाटी में आतंकियों के रास्ते में आने की कोशिश की तो वे उनके परिजनों को कभी नहीं छोड़ेंगे। लेकिन स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध के पाद आतंकियों को अगवा किए गए लोगों को 24 घंटे के अंदर छोड़ना पड़ा।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष प्रसाद ने आज आतंकवादियों द्वारा अगवा किए गए कुछ लोगों के परिजनों से बात की। उनमें से एक मोहम्मद मकबूल का परिवार भी था। मकबूल के तीन बेटे हैं, जिनमें से दो जम्मू एवं कश्मीर पुलिस में हैं। उनके तीसरे बेटे जुबैर को आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था और 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा था। जुबैर इतना दहशत में था कि कैमरे के सामने आने से डर रहा था, हालांकि उनके पिता ने पूरी कहानी सुनाई।
उन्होंने खुलासा किया कि उनके बेटे को आतंकवादियों ने 10 अन्य बंधकों के साथ रखा था और उनकी आंखों पर पट्टियां बांध दी थीं। मकबूल ने कहा कि उनके बेटे को एक खुले मैदान में रखा गया था और उसे पुलिस को धमकी देने के लिए औजार के तौर पर इस्तेमाल किया गया। जुबैर के पिता ने दावा किया कि जम्मू एवं कश्मीर पुलिस में नौकरी करना ही अपने आप में एक चुनौती है। उन्होंने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि सरकार को इस खूनखराबे को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए।
हिज्बुल ऑपरेटल रियाज नायकू और अन्य ने बशीर अहमद मकरू के बेटे फैजान को भी अगवा किया था। बशीर, जो कि कुलगाम के खारपुरा में रहते हैं और पुलिस में नौकरी करते हैं, ने बताया कि उनका बेटा 24 घंटे के अंदर घर लौट आया। उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे लेकिन उसे एक जंगल में बंधक बनाकर रखा गया था। आतंकियों ने धमकी दी है कि यदि 'तुम हमारे परिवार को नुकसान पहुंचाओगे तो हम भी तुम्हारे परिवार को नहीं छोड़ेंगे।'
लेकिन अगवा किए गए सभी लोग वापस लौट आए ऐसा भी नहीं है। कुछ दिन पहले हारून वानी नाम के एक लड़के को डोडा जिले से अगवा किया गया था, और इसके एक दिन बाद ही सोशल मीडिया पर हिज्बुल ने उसकी तस्वीर पोस्ट की थी। उसने अपने हाथ में एके-47 थामी हुई थी और वह संगठन में शामिल हो गया था। उसके पिता ने दावा किया कि उसे इसमें जबर्दस्ती शामिल किया गया। हारून ने एमबीए किया था और एक मशहूर कंपनी में नौकरी कर चुका था। सेना का दावा है कि उसका सोशल मीडिया पर ब्रेनवॉश किया गया था।
देखें: पूरी रिपोर्ट 'आज की बात रजत शर्मा के साथ' में