अहमदाबाद: पूर्व आईपीएस अधिकारी डी.जी. वंजारा को गुजरात सरकार ने सेवानिवृत्ति के छह साल बाद पदोन्नति दी है। वह इशरत जहां और सोहराबुद्दीन शेख की कथित तौर पर हुई फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी थे। राज्य के गृह विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक उन्हें 29 सितम्बर 2007 से आईजीपी के तौर पर पदोन्नत किया गया है। अधिसूचना की प्रति वंजारा ने मंगलवार की रात को ट्वीट की।
राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव निखिल भट्ट ने बुधवार को पुष्टि की कि उनके विभाग ने वंजारा की पदोन्नति के बारे में अधिसूचना जारी की है। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी वंजारा 31 मई 2014 को पुलिस उपमहानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए।
सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें मई 2007 में निलंबित कर दिया था। सरकारी अधिसूचना के साथ वंजारा ने ट्वीट किया, ‘‘सभी मुठभेड़ मामलों में न्यायपालिका की तरफ से क्लीन चिट मिलने के बाद मुझे 29 सितम्बर 2007 से पुलिस महानिरीक्षक के तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद पदोन्नति दी गई है। मैं भारत और गुजरात सरकार का शुक्रगुजार हूं।’’
कथित फर्जी मुठभेड़ होने के दौरान वंजारा गुजरात एटीएस के प्रमुख थे। राज्य सीआईडी द्वारा मार्च 2007 में गिरफ्तारी के बाद से वह करीब सात वर्षों तक जेल में रहे। शेख गांधीनगर के नजदीक नवम्बर 2005 में कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था जिसके बाद उसकी पत्नी लापता हो गई थी। सीबीआई के मुताबिक उसकी भी हत्या हो गई थी।
मुंबई के पास मुंब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय महिला इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को गुजरात पुलिस ने 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस ने दावा किया था कि उनके आतंकवादियों के साथ रिश्ते थे।
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