हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन संतोष हेगड़े ने देश के नए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को सलाह दी है कि न्यायिक कार्यवाहियों में ज्यादा पारदर्शिता लाई जाए और न्यायाधीशों के बीच किसी भी तरह की ‘‘गलतफहमी’’ से बचने के लिए उनके बीच एकजुटता को बढावा दिया जाए।
पूर्व सॉलिसीटर जनरल हेगड़े ने कहा, ‘‘उन्हें (न्यायामूर्ति गोगोई) जनता को यह संदेश देना चाहिए कि जहां तक न्याय की बात है तो न्यायाधीश एक हैं।’’ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। उन्होंने दो अक्टूबर को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की जगह ली।
न्यायमूर्ति गोगोई उन चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने जनवरी में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश की विशेषकर, निश्चित पीठों को मामले आवंटित करने के तरीके को लेकर आलोचना की थी। हेगड़े ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई की अब प्राथमिक जिम्मेदारी अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों की संख्या घटाने की होनी चाहिए और उन्हें खुशी है कि प्रधान न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर बात की है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनकी लंबित मामलों से निपटने की योजना है। कर्नाटक के लोकायुक्त भी रहे हेगड़े ने कहा, ‘‘उन्हें (न्यायमूर्ति गोगोई को) न्यायिक कार्यवाहियों में और अधिक पारदर्शिता लानी चाहिए। वे (उच्चतम न्यायालय) कार्यवाहियों की वीडियोग्राफी (सीधा प्रसारण) का फैसला कर चुके हैं। इसके अलावा, पिछले कार्यकाल में न्यायाधीशों में जो असहमतियां थीं, उन्हें दोहराया नहीं चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गलतफहमियों से काफी दिक्कतें हुईं... इससे समस्या यह हुई कि लोगों का (न्यायपालिका के प्रति) सम्मान कम हुआ। एक बार जब लोग न्यायिक संस्थान के प्रति सम्मान खो देते हैं तो यह लोकतंत्र की समाप्ति होती है।’’
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