नई दिल्ली: हैदराबाद हाऊस में आज फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेता काफी गर्मजोशी से मिले। मोदी-एमैनुएल मैक्रों की वार्ता के बाद भारत और फ्रांस ने सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा सहितअन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने वाले 14 समझौते किये। दोनों देशों के बीच गोपनीय सूचना की सुरक्षा पर भी समझौता हुआ। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि हम मानते हैं कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के उज्जवल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयाम है हमारे लोगों से सीधा संबंध। हम चाहते हैं कि हमारे युवा एक दूसरे के देश को जानें, एक दूसरे के देश को देखें, समझें, काम करें, ताकि हमारे संबंधों के लिए हजारों तैयार हो।
इससे पूर्व राष्ट्रपति भवन में मैक्रों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिगित मैरी क्लाउड मैक्रों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया। इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस, भारत का सबसे बेहतरीन साझेदार देश और यूरोप में भारत के प्रवेश का बिंदु होना चाहिए। मैक्रों भारत के चार दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) सम्मेलन की सह अध्यक्षता करेंगे।
मैक्रों ने कहा कि इस दौरे के उनके तीन उद्देश्य हैं। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में अपने औपचारिक स्वागत के बाद संवाददाताओं को बताया कि उनका पहला उद्देश्य रक्षा, अनुसंधान एवं विज्ञान, विशेष रूप से युवा, उच्च शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी का नया युग शुरू करना है। मैक्रों ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि क्योंकि आतंकवाद के संदर्भ में दोनों देशों के बीच कई सामान्य चुनौतियां और साझा जोखिम हैं।"
उन्होंने कहा, "इस यात्रा का दूसरा उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (सम्मेलन) का आयोजन करना है।" उन्होंने कहा,, "तीसरा उद्देश्य यह संदेश देना है कि फ्रांस विशेष रूप से यूरोप में भारत का बेहतरीन साझेदार देश और यूरोप में प्रवेश का बिंदु होना चाहिए।" इसके बाद शनिवार को ही मोदी और मैक्रों एक द्विपक्षीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जिसके बाद कई क्षेत्रों में समझौते होने की संभावना हैं। मोदी और मैक्रों शनिवार को आईएसए सम्मेलन की सह अध्यक्षता करेंगे, जिसे मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रति फ्रांस्वा ओलांद ने 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान शुरू किया था।
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