नई दिल्ली। अपनी तरह के पहले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने तीन चिंपांजी और चार मर्मोसैट (बंदरो की एक प्रजाति) को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के प्रावधानों के तहत अटैच किया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, एक चिंपांजी की कीमत 25,00,000 और मर्मोसैट की कीमत 1,50,000 रुपये आंकी गयी है और कुल कीमत 81,00,000 है। ये विदेशी प्रजाति के वन्यजीव बताए जा रहे है।
दरअसल, ये जांच पश्चिमी बंगाल सरकार के वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की शिकायत के आधार पर सुप्रदीप गुहा के खिलाफ शुरू की गई थी। पहले वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने वेस्ट बंगाल की कोर्ट में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन 1972 के तहत सुप्रदीप गुहा के खिलाफ लोकल कोर्ट में शिकायत की थी।
इसी बीच वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने वेस्ट बंगाल पुलिस को सुप्रदीप गुहा के खिलाफ फर्जी कागजातों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करने की शिकायत की थी। आरोप था कि सुप्रदीप गुहा ने PCCF, वाइल्ड लाइफ और वेस्ट बंगाल के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के नाम से इन चिमपंजियो और मर्मोसैट को फर्जी अनुमति पत्र पर रखा हुआ था।
ईडी ने जब PMLA के तहत जांच की तो खुलासा हुआ कि सुप्रदीप गुहा वाइल्डलाइफ स्मगलिंग रैकेट चला रहा था। ये अपराधी इतना शातिर था कि जांच एजेंसी से बचने के लिए इसने कस्टम विभाग और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट दोनों को बरगलाने की कोशिश की थी। सुप्रदीप गुहा ने इन चिमपंजियो के भारत में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र भी बनवा रखे थे।
वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के द्वारा बरामद किए गए इन सभी वन्यजीवों को फिलहाल कोलकाता के अलीपुर जूलॉजिकल गार्डन में रखा गया है। जहां सुप्रदीप लगातार फर्जी कागजातों के आधार पर इन्हें वापिस हासिल करने की कोशिश कर रहा था लेकिन ईडी ने इन्हें केस में अटैच कर आरोपी के प्रयासों पर पानी फेर दिया है।
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