मिजोरम में भूकंप, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.4
मिजोरम में शाम करीब 8 बजकर 8 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। NCS के अनुसार, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.4 रही।
मिजोरम में शाम करीब 8 बजकर 8 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। NCS के अनुसार, रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.4 रही। इस भूकंप का केंद्र Champhai से 24 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में था। आपको बता दें कि मिजोरम में पिछले 6 हफ्तों में करीब 24 बार भूकंप महसूस किए जा चुके हैं। प्रदेश में 24 जुलाई को आए भूकंप की भूकंप और भारी बारिश के कारण विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन की घटना हुयी प्रदेश में 18 जून के बाद से एक के बाद एक, कई बार भूकंप का झटका महसूस किया गया है जिसमें चंफई सबसे अधिक प्रभावित है।
भारत के पूर्वी भाग में मध्यम स्तर के भूकंप दो विभिन्न गहराइयों से आ रहे हैं: अध्ययन
देश के पूर्वी भाग में चट्टानों के लचीलेपन संबंधी गुणों की खोज एवं क्षेत्र में लगातार भूकंप आने पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में दो अलग-अलग गहराई पर स्थित केंद्रों से मध्यम स्तर के भूकंप आ रहे हैं। कम तीव्रता वाले भूकंपों का केंद्र 1 से 15 किलोमीटर की गहराई में रहता है जबकि रिक्टर स्केल पर चार से थोड़ी अधिक तीव्रता वाले भूंकप 25 से 35 किलोमीटर की गहराई से आ रहे हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाल वा़डिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया कि मध्यवर्ती गहराई में भूकंपीय गतिविधि नहीं होती है और यह द्रव/ आंशिक द्रव वाले क्षेत्र में पड़ती है। इस क्षेत्र में क्रस्ट (धरती के सबसे बाहरी ठोस ढांचे) की मोटाई ब्रह्मपुत्र घाटी के नीचे 46.7 किलोमीटर से लेकर अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाल क्षेत्रों में 55 किलोमीटर तक है जहां क्रस्ट और पपड़ियों के बीच की सीमा को परिभाषित करने वाले संपर्क क्षेत्र में मामूली सा उठान है जिसे तकनीकी दृष्टि से ‘मोहो डिसकंटिन्यूटी’ कहा जाता है।
यह ट्यूटिंग-टिडिंग सचर जोन में भारतीय भौगोलिक प्लेट (टेक्टोनिक प्लेट) की अंडर-थ्रस्टिंग (वह फॉल्ट जिसमें फॉल्ट प्लेन की निचली सतह की चट्टानें ऊपरी सतह पर स्थित चट्टानों के तहत चली जाती हैं) प्रक्रिया को दर्शाता है। अध्ययन में लोहित घाटी के ऊंचाई वाले हिस्सों में क्रस्ट की गहराइयों में द्रव या आंशिक द्रव (ठोस वस्तु का केवल एक हिस्सा पिघला हुआ) की मौजूदगी का भी संकेत देता है।
एक बयान में कहा गया, “भारत के सबसे पूर्वी हिस्सों में चट्टानों के लचीलेपन और भूकंपनीयता पर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि क्षेत्र में दो अलग-अलग गहराइयों से मध्यम स्तर के भूकंप आ रहे हैं।”
With inputs from Bhasha