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Hindi News भारत राष्ट्रीय हवा की उल्टी दिशा के चलते 1998 में हुई थी पोररण परमाणु परीक्षण में 6 घंटे की देरी

हवा की उल्टी दिशा के चलते 1998 में हुई थी पोररण परमाणु परीक्षण में 6 घंटे की देरी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डीआरडीओ ) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि हवा की प्रतिकूल दिशा के कारण 11 मई 1998 को किए गए पोकरण परमाणु परीक्षण में छह घंटे से ज्यादा की देरी हुई थी।

<p>Due to the reverse direction of air there was a delay of...- India TV Hindi Due to the reverse direction of air there was a delay of 6 hours in the Poranan nuclear test in 1998

नयी दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डीआरडीओ ) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि हवा की प्रतिकूल दिशा के कारण 11 मई 1998 को किए गए पोकरण परमाणु परीक्षण में छह घंटे से ज्यादा की देरी हुई थी। परीक्षण में कुछ घंटों की देरी करने का फैसला हवा के विकिरण को रिहाइशी इलाकों या पाकिस्तान की ओर ले जाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। परीक्षण टीम का हिस्सा रहे मंजीत सिंह ने कल यहां डीआरडीओ के एक कार्यक्रम में कहा , ‘‘ वास्तविक योजना सभी तीन उपकरणों का सुबह नौ बजे परीक्षण करने की थी लेकिन हवा की प्रतिकूल दिशा के कारण पूरे कार्यक्रम में देरी हुई। ’’ (अमेरिकी राजनयिक ने पाक छोड़ा, अमेरिकी कानून के तहत चलाया जाएगा मुकदमा )

उन्होंने बताया , ‘‘ और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रोटोकॉल के मुताबिक हवा की दिशा अन्य देशों या रिहाइशी इलाकों की ओर नहीं होनी चाहिए। ऐसे में हवा की दिशा बदल जाए , इसके लिए हमने करीब छह घंटे तक इंतजार किया। ’’ वैज्ञानिक ने कहा कि परीक्षण टीम नियंत्रण कक्ष में इंतजार करना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे डर था कि विस्फोट से पैदा होने वाले झटकों के कारण वह ढह जाएगा। पोकरण परीक्षण के बाद भारत ने परमाणु शक्ति बनने की घोषणा कर दी थी।

सिंह ने दिसंबर , 1984 में डीआरडीओ के टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेट्री ( टीबीआरएल ) में कनिष्ठ वैज्ञानिक का पद संभाला था। उन्हें 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें पुरस्कार दिया था। सिंह ने 29 जुलाई , 2011 को टीबीआरएल के निदेशक का पद संभाला था।

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