कोविशील्ड या कोवैक्सीन: DCGI किसे देगा अंतिम मंजूरी, रविवार सुबह आएगी खुशखबरी!
भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर रविवार को बड़ी खबर मिल सकती है। नए साल में डीसीजीआई अंतिम फैसला लेकर कोरोना वैक्सीन को लेकर बड़ी खुशखबरी दे सकता है।
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर रविवार (3 जनवरी) को बड़ी खबर मिल सकती है। नए साल में डीसीजीआई अंतिम फैसला लेकर कोरोना वैक्सीन को लेकर बड़ी खुशखबरी दे सकता है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) कोरोना वैक्सीन को लेकर रविवार सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। बताया जा रहा है कि DCGI की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश में कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बड़ा ऐलान किया जा सकता है। बता दें कि, ये खबर ऐसे समय में आई है जब देश में शनिवार को टीकाकरण से पहले वैक्सीन का सबसे बड़ा ड्राई रन किया गया। इस ड्राई रन का उद्देश्य टीकारण की तैयारियों का जायजा लेना है।
DCGI स्वेदशी कोवैक्सीन को शर्तों के साथ देगा मंजूरी?
दिल्ली एम्स में 'कोवैक्सीन' के ट्रायल के प्रमुख अन्वेषक और सेंटर फॉर कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने इंडिया टीवी के साथ विशेष बातचीत में बताया कि कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज की इजाजत मिली है। रेगुलर यूज के लिए मंजूरी नहीं मिली है। कोवैक्सीन के लीड इंवेस्टिगेटर डॉ. राय ने आगे बताया कि हमारे पास वायरस को लेकर 7 से 8 महीने का डेटा है। सबकी निगाहें कोरोना की दोनों को विदेशी कोविशील्ड और स्वदेशी कोवैक्सीन के ऐलान पर टिकी हुई हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि DCGI सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड का ऐलान करता है या भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर क्या कहता है। बताया जा रहा है कि DCGI स्वेदशी कोवैक्सीन को शर्तों के साथ इजाजत मिलेगी।
कोविशील्ड या कोवैक्सीन किसे मिलेगी अंतिम मंजूरी
गौरतलब है कि, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोरोना पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के इमरजेंसी इस्तेमाल को अनुमति दे दी है। डीसीजीआई ने पहले ही संकेत दिया था कि नए साल में भारत में कोरोना वैक्सीन आ सकती है। DCGI वीजी सोमानी की मानें तो आवेदकों को अनुमति प्रदान करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। भारत बायोटेक ने सात दिसंबर को स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन टीके की मंजूरी के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के समक्ष अर्जी दाखिल की थी।
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6 जनवरी से शुरू होगा वैक्सीनेशन
सीडीएससीओ की कोरोना पर विषय विशेषज्ञ समिति की मंजूरी के बाद दोनों वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के प्रस्ताव को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वीजी सोमानी के पास भेजा गया है। बताया जा रहा है कि डीसीजीआई वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को जल्द मंजूरी दे सकता है। 6 जनवरी तक भारत में वैक्सीन को रोलआउट कर दिया जाएगा।
अब तक बन चुकी हैं लगभग 5 करोड़ खुराक
कोविशिल्ड को ब्रिटेन और अर्जेटीना में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। कोविशील्ड की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन की पांच करोड़ से अधिक खुराक तैयार कर स्टोर कर लिया है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका संग पार्टनरशिप की है। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर भारत बायोटेक 'कोवैक्सीन' बना रही है।
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देश में 6 कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जारी
वर्तमान में भारत में कोरोना की 6 वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। इनमें कोविशिल्ड और कोवाक्सिन सबसे आगे हैं। कोविशिल्ड ऑस्ट्रॉक्सी वैक्सीन है, जिसे एस्ट्रजेनेका और पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। कोवाक्सिन भारत की बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से विकसित किया जा रहा स्वदेशी टीका है। इनके अलावा, अहमदाबाद में कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ZyCOV-D को विकसित किया जा रहा है। साथ ही NVX-CoV2373 को नोवामैक्स के सहयोग से सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया जा रहा है। दो अन्य टीके हैं, जिनमें से एक एमआईटी, यूएस के सहयोग से बायोलॉजिकल ई लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा निर्मित है। दूसरा एचडीटी, यूएस के सहयोग से पुणे स्थित गेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
वैक्सीन को लेकर अफवाहों पर ध्यान न दें- डॉ. हर्षवर्धन
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन दिल्ली के जीटीबी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने ड्राई रन का जायजा लिया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह के अफवाह पर ध्यान न दें। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता लोगों की जान बचानी है। केंद्रीय मंत्री ने व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान की देश की क्षमता पर संदेहों को खारिज कर दिया और बताया कि किस तरह से भारत में टीकाकरण अभियान और दुनिया के इस तरह के सबसे बड़े कार्यक्रम को चलाने की अद्भुत क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दृढ़ता और प्रतिबद्धता के कारण भारत को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया। पोलियो टीकाकरण अभियान सहित पहले हुए टीकाकरण अभियान में हमारे समृद्ध अनुभव का इस्तेमाल देश भर में कोविड-19 टीकाकरण को मूर्त रूप देगा।’’
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कम तापमान पर रखना है सबसे बड़ी खूबी
वैक्सीनेशन ड्राइव के पहले चरण में केंद्र सरकार ने करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बनाई है। सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ ही दो करोड़ फ्रंटलाइन और जरूरी वर्कर्स और 27 करोड़ बुजुर्गों को वैक्सीन लगाए जाएंगे। पहले से बीमारियों से जूझ रहे 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता दी जाएगी। भारत के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के ज्यादा मुफीद होने के कई कारण हैं। पहला तो ये कि Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी, लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है।
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