नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बुधवार को ओडिशा के तट से एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (आकाश-NG) का सफलतापूर्व परीक्षण किया। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। DRDO ने यह परीक्षण लगभग 12:45 बजे एक लैंड बेस्ड प्लैटफॉर्म से किया। इस दौरान मल्टीफंक्शन रडार, कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम और लॉन्चर जैसे सारे वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। वहीं, DRDO ने बुधवार को ही पोर्टेबल एंटि टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का भी सफल परीक्षण किया।
आकाश मिसाइल सिस्टम की बात करें तो इसे DRDL हैदराबाद द्वारा अन्य DRDO प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया है। भारतीय वायुसेना के प्रतिनिधि भी मिसाइल की लॉन्चिंग के गवाह बने। फ्लाइट डेटा को कैप्चर करने के लिए आईटीआर ने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज स्टेशनों को तैनात किया था। इन सिस्टम्स के द्वारा कैप्चर किए गए संपूर्ण उड़ान डेटा द्वारा पूरे वेपन सिस्टम के जबर्दस्त प्रदर्शन की पुष्टि की गई है।
परीक्षण के दौरान मिसाइल ने तेज-तर्रार हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए आवश्यक उच्च गतिशीलता का प्रदर्शन किया। आकाश-एनजी वेपन सिस्टम की तैनाती के बाद भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमता में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी होगी। उत्पादन एजेंसियों BEL और BDL ने भी टेस्टिंग में भाग लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण के लिए DRDO, BDL, BEL, भारतीय वायु सेना और इंडस्ट्री को बधाई दी है। DD R&D सेक्रेटरी और DRDO अध्यक्ष ने सफल परीक्षण के लिए टीम के प्रयासों की सराहना की और कहा कि मिसाइल भारतीय सेना को मजबूत करेगी।
वहीं, MPATGM की बात करें तो मिसाइल को थर्मल साइट के साथ एकीकृत एक पोर्टेबल लॉन्चर से लॉन्च करके लक्ष्य पर निशाना साधा गया था जिसे टैंक के रूप में दिखाया गया था। मिसाइल ने डायरेक्ट अटैक मोड में लक्ष्य पर वार किया और इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया। परीक्षण के जरिए मिसाइल की न्यूनतम सीमा का सफलतापूर्वक परीक्षण संपन्न हुआ जबकि इसकी अधिकतम सीमा की टेस्टिंग पहले ही हो चुकी है। टेस्टिंग के दौरान मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया। इस परीक्षण के साथ ही देश में निर्मित तीसरी पीढ़ी के मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के विकास को पूरा करने का लक्ष्य और करीब आ गया।
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