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Hindi News भारत राष्ट्रीय सियाचीन, लद्दाख में तैनात सैनिकों के लिए DRDO ने बनाया 'Him Tapak', जानिए इसकी खासियत

सियाचीन, लद्दाख में तैनात सैनिकों के लिए DRDO ने बनाया 'Him Tapak', जानिए इसकी खासियत

Defence Institute of Physiology & Allied Sciences (DRDO) के डायरेक्टर डॉक्टर राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि DRDO ने पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना के लिए 'हिम तपक' (Him Tapak) नामक नई space heating devices बनाई है। यह सुनिश्चित करेगा कि backblast और carbon monoxide poisoning के कारण जवानों की मौत न हो।

DRDO develops Him Tapak new space heating devices for the Indian Army in Ladakh Siachen सियाचीन, लद्- India TV Hindi Image Source : HTTPS://TWITTER.COM/ADGPI सियाचीन, लद्दाख और अत्याधिक ठंड वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए DRDO ने बनाया 'Him Tapak', जानिए इसकी खासिय

नई दिल्ली. सियाचीन, लद्दाख और कश्मीर में सीमा पर कई इलाके ऐसे हैं जहां हर साल कंपा देने वाली ठंड पड़ती है। हर साल इन इलाकों में -25 से -50 के बीच पारा पहुंच जाता है लेकिन फिर भी सेना के जवान यहां हर मौसम में मुस्तैद रहते हैं। इन परस्थियों में जवानों को यहां कई तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इन इलाकों में सेना को न सिर्फ दुश्मन बल्कि मौसम का भी सामना करना पड़ता है। कई बार इन इलाकों में ठंड की वजह से जवानों की मौत तक हो जाती है। अब DRDO ने इन इलाकों में तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए एक नई हीटिंग डिवाइस डवलप की है।

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Defence Institute of Physiology & Allied Sciences (DRDO) के डायरेक्टर डॉक्टर राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि DRDO ने पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना के लिए 'हिम तपक' (Him Tapak) नामक नई space heating devices बनाई है। यह सुनिश्चित करेगा कि backblast और carbon monoxide poisoning के कारण जवानों की मौत न हो।

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उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने इस उपकरण के निर्माताओं को 420 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए हैं। उन्हें सेना और आईटीबीपी के सभी नए आवासों में तैनात किया जाएगा, जहां तापमान कम है। उन्होंने यहा भी बताया कि DRDO ने 'अलोकल' क्रीम (Alocal cream) भी डवलप की है,  जो अत्यधिक ठंड वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को frostbite, chilblains और ठंड की वजह से लगने वाली अन्य चोटों को रोकने में मदद करती है। हर साल, भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के लिए इस क्रीम के 3 से 3.5 लाख जार का ऑर्डर देती है।

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