नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदादेवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों ने कहा कि जोशीमठ में धौली गंगा नदी का जल खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर बह रहा है। ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ और अलकनंदा नदी तंत्र में एक जलप्रलय आयी जिसमें पनबिजली स्टेशन बह गये और 100 से अधिक मजदूर फंस गये, जिनकी मौत होने की आशंका है। केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष सौमित्र हालदार ने कहा, ‘‘पूर्वाह्र 11 बजे, जोशीमठ में जल स्तर 1,388 मीटर दर्ज किया गया।’’
उन्होंने कहा कि 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ के दौरान, जोशीमठ में जल का उच्चतम स्तर (एचएफएल) 1,385.54 मीटर था। केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अधीक्षण अभियंता (ऊपरी और मध्य गंगा विभाग) राजेश कुमार ने बताया कि हालांकि, रविवार की शाम छह बजे तक नदी का जल स्तर उस सामान्य स्तर पर पहुंच गया जो एक दिन पहले दर्ज किया गया था।
उन्होंने बताया कि जल स्तर घटने लगा है। जोशीमठ में, छह फरवरी को दोपहर को एक बजे जल स्तर 1,372.58 मीटर था। रविवार को शाम छह बजे, आपदा के बाद, जल स्तर 1,375 मीटर था। नदी के निचले हिस्सों में नंदप्रयाग में, शाम छह बजे जल स्तर 840.40 मीटर था। एक दिन पहले, यह अपराह्र एक बजे 848.30 मीटर था।
कुमार ने कहा कि रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश और देवप्रयाग में स्थिति इसी तरह की थी। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं। प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में शाम को संवाददाताओं को बताया कि अभी तक आपदा में सात व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं।
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