…..तो इस तरह दिया गया था LoC पार सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम
नई दिल्ली: पिछले साल उड़ी आतंकी हमले के बाद सेना ने 29 सितंबर को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर सर्जिकल स्ट्रालइक को अंजाम दिया था। उस ऑपरेशन में शामिल जांबाज जवानों के साहस की
नई दिल्ली: पिछले साल उड़ी आतंकी हमले के बाद सेना ने 29 सितंबर को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर सर्जिकल स्ट्रालइक को अंजाम दिया था। उस ऑपरेशन में शामिल जांबाज जवानों के साहस की गाथा को साझा करने से सरकार ने इनकार कर दिया। लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक में जवानों के जांबाज कारनामे का ब्योरा अब सामने आने लगा है।
अंग्रेजी वेबसाइट 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के अनुसार आतंकियों का पता लगाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक से एक दिन पहले भारतीय जवान एलओसी पार कर पाक अधिकृत कश्मीर पहुंच गए थे। इसके बाद 28-29 सितंबर, 2016 की आधी रात मेजर रोहित सूरी जवानों के साथ पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर आतंकी लांच पैड तक पहुंचे थे। इसे अंजाम देने में 19 पैरा कमांडोज का अभिन्न योगदान रहा।
मेजर सूरी की टीम ने आतंकियों के ठिकाने पर धावा बोलते हुए दो आतंकियों को ढेर कर दिया। उसके बाद मेजर सूरी ने दो अन्यी आतंकियों को जंगल में भागते हुए देखा। जान हथेली पर लेते हुए मेजर सूरी ने उनका पीछा किया और उनको ढेर कर दिया।
एक दूसरे मेजर को 27 सितंबर को ही अपने लक्ष्यज पर नजदीक से निगाह रखने का आदेश दिया गया था। नतीजतन वह मेजर अपनी टीम के साथ स्ट्रा इक के 48 घंटे पहले ही एलओसी पारकर सर्विलांस कर रहा था। इस टीम ने पूरे टारगेट जोन की मैपिंग की। हथियारों को रखने की जगह को नष्टह किया और दो आतंकियों को ढेर किया।
इस स्ट्रा इक ऑपरेशन में शामिल तीसरे मेजर ने अपनी टीम के साथ आतंकियों की एक शरणस्थोली पर हमला कर उसको नष्टर कर दिया। साथ ही वहां सोते हुए सभी आतंकियों को मार दिया गया। यह मेजर अपने उच्चे अधिकारियों को ऑपरेशन के बारे में भी पूरी जानकारी दे रहा था। वहीं चौथे मेजर ने ग्रेनेड हमले से दुश्मरन के ऑटोमेटिक हथियारों को नष्टे कर दो आतंकियों को मार गिराया।
हालांकि यह भी सही है कि सर्जिकल स्ट्रांइक कोई साधारण ऑपरेशन नहीं था। आतंकियों ने मोर्चा संभाल लिया था। पांचवें मेजर ने जब तीन आतंकियों को देखा कि वे आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड) से चौथे मेजर की टीम पर हमला करने जा रहे हैं तो उसने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए बिजली की गति से उन तक पहुंचकर दो आतंकियों को मार गिराया। तीसरे आतंकी को उसके साथी ने मारा।
अधिकारियों के साथ-साथ जवानों ने भी अप्रतिम साहस का परिचय दिया। एक नायब सूबेदार ने आतंकी ठिकाने पर ग्रेनेड हमला करने के बाद दो आतंकियों को ढेर किया। इसके अलावा जब उसने देखा कि एक आतंकी उसकी टीम पर गोलियां चला रहा है तो उसने साथियों को वहां से हटाते हुए खुद मोर्चा संभाला और उसको मार गिराया। इस पूरे मिलिट्री ऑपरेशन की सबसे बड़ी कामयाबी यह भी रही कि इसमें कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ। बस सर्विलांस टीम का एक सदस्यी जख्मीत हुआ।
जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित टेरर लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि, मिशन को अंजाम देने के लिए अमावस्या की रात का इंतजार किया गया।
इस वीरता के लिए मेजर सूरी को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विपक्ष भले ही इसकी सच्चाई पर सवालिया निशान लगाता रहा हो। लेकिन इस साल गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवानों के प्रशस्ति पत्र विपक्ष के सवालों का करारा जवाब हैं।
रोहित सूरी के अलावा चार जवानों मेजर रजत चंद्रा, मेजर दीपक कुमार उपाध्याय, कैप्टन आशुतोष कुमार और नायब सूबेदार विजय कुमार को वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।